गॉस का प्रमेय

क्षेत्रफल सदिश :-

चूँकि क्षेत्रफल एक अदिश राशि है लेकिन बहुत जगह इसे सदिश द्वारा प्रदर्शित किया जाता है । जिसकी दिशा पृष्ठ के लंबवत बाहर की ओर होती है ।

विधुत फ्लक्स :-

किसी भी पृष्ठ से गुजरने वाली विधुत बल रेखाओं की संख्या उस पृष्ठ का विधुत फ्लक्स कहलाता है । इसे Φ द्वारा सूचित किया जाता है । यदि \fn_cm \vec{dA} कोई क्षेत्रफल सदिश है तथा \fn_cm \vec{E} उस क्षेत्रफल के सभी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता है , तो उस क्षेत्रफल द्वारा विधुत फ्लक्स का मान इस प्रकार होगा ।

\fn_cm \left [ d\Phi =\vec{E}.\vec{dA} \right ]\;\;\;\Rightarrow \;\;\;\left [ d\Phi=E dA\cos\theta \right ]

जहाँ θ , \fn_cm \vec{E} तथा \fn_cm \vec{dA} के बीच का कोण है ।

NOTE:-

यह सूत्र तभी मान्य होगा जब पृष्ठ सपाट हो तथा पृष्ठ के हरेक बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता समान हो , अन्यथा Integration Technique द्वारा कुल फ्लक्स का मान ज्ञात किया जा सकता है ।\fn_cm \Phi =\int EdA\cos\theta

यह एक अदिश राशि है तथा इसका S.I मात्रक \fn_cm Nm^2/C होता है , इसका विमीय सूत्र \fn_cm \left [ ML^3T^{-3}A^{-1} \right ] होता है ।

यदि θ=0°, तब Φ=0 ,         यदि θ<90°, तब Φ=+ve,           यदि θ>90°, तब Φ=-ve

अर्थात यदि बल रेखाएं पृष्ठ से बाहर निकल निकल रही हो , तो फ्लक्स +ve होता है तथा यदि बल रेखाएं पृष्ठ में प्रवेश कर रही हो , तो फ्लक्स -ve होता है ।

गॉस का प्रमेय :-

गॉस के प्रमेय के अनुसार निर्वात में किसी बंद पृष्ठ में से कुल विधुत फ्लक्स का मान पृष्ठ द्वारा घेरे गए कुल आवेश के \fn_cm \frac{1}{\epsilon_0} गुणा के बराबर होता है ।

अर्थात , \fn_cm \left [ \Phi_{closed}=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0} \right ]\;\;\;\;\;or\;\;\;\;\;\left [ \oint \vec{E}.d\vec{A}=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0} \right ]

NOTE:- समीकरण में बाएं तरफ विधुत क्षेत्र की तीव्रता (E) पृष्ठ के अंदर तथा बाहर दोनों आवेशों के कारण होता है लेकिन दाएं तरफ \fn_cm Q_{inside} केवल पृष्ठ के अंदर का आवेश होता है ।

किसी सरल रेखीय आवेश के कारण विधुत क्षेत्र के तीव्रता :-

माना की एक बहुत लम्बा तथा एक समान रूप से आवेशित छड़ है जिसके प्रति एकांक लम्बाई पर आवेश \fn_cm \lambda है । छड़ से r दुरी पर एक बिंदु P है जहाँ पर छड़ के कारण विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।

छड़ के समाक्षीय l लम्बाई तथा r  त्रिज्या के एक बंद बेलनाकार सतह की कल्पना करते है जो P  से होकर गुजरता है इसे गॉसियन सतह कहते है।

माना की P  बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता E  है । बेलन के वक्र भाग में P  बिंदु पर एक छोटे से क्षेत्रफल सदिश \fn_cm \vec{dA} के कारण विधुत फ्लक्स होगा।

\fn_cm d\Phi=\vec{E}.d\vec{A}=EdA\cos0^0

\fn_cm d\Phi=EdA

∴ पुरे वक्र भाग के लिए विधुत फ्लक्स का मान होगा

\fn_cm \Phi=\int EdA=E\int dA=E.2\pi rl

बेलन के समतल सतह के कारण विधुत फ्लक्स का मान शून्य होगा क्योंकि क्षेत्रफल सदिश तथा विधुत बल रेखाएँ एक दूसरे के लम्बवत है ।

अतः गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा ।

\fn_cm \Phi=E.2\pi rl-----(1)

गॉस के प्रमेय के अनुसार , गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स होगा ।

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}

\fn_cm \Phi=\frac{\lambda l}{\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm E.2\pi rl=\frac{\lambda l}{\epsilon_0}

\fn_cm \large \left [ E=\frac{1}{2\pi \epsilon_0}\frac{\lambda}{r} \right ]\Rightarrow \left [ E\propto\frac{1}{r} \right ]

किसी समान रूप से आवेशित खोखले गोले के कारण किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

माना की एक एकसमान रूप से आवेशित एक खोखला गोला है जिसकी त्रिज्या R  तथा आवेश Q है । गोले के केंद्र से r  दुरी पर एक बिंदु P  है जहाँ पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।

CASE 1:- जब बिंदु गोले के बाहर स्थित हो

गॉसियन सतह के P  बिंदु पर एक छोटे से क्षेत्रफल सदिश \fn_cm d\vec{A} के कारण विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी ।

\fn_cm d\Phi=\vec{E}.d\vec{A}=EdA\cos0^0=EdA

∴ गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा ।

\fn_cm \Phi=\int EdA=E\int dA

\fn_cm \Phi=E.4\pi r^2-----(1)

गॉस के अनुसार

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=\frac{Q}{\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm E.4\pi r^2=\frac{Q}{\epsilon_0}

\fn_cm \left [ E=\frac{1}{4\pi \epsilon_0}.\frac{Q}{r^2} \right ]

CASE 2:- जब बिंदु गोले के अंदर स्थित हो

चूँकि गोले के अंदर कोई भी आवेश स्थित नहीं है , अतः अगर खोखले गोले के अंदर गॉसियन पृष्ठ खिंचा जाता है तो उससे होकर गुजरने वाले विधुत फ्लक्स का मान शून्य होगा , क्योंकि \fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=0-----(1)

यदि गोले के अंदर गॉसियन पृष्ठ के किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता \fn_cm E हो तो गॉसियन पृष्ठ द्वारा कुल फ्लक्स का मान होगा

\fn_cm \Phi=\oint \vec{E}.d\vec{A}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से  \fn_cm \left [ E=0 \right ]

अतः आवेशित खोखले गोले के अंदर विधुत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है ।

किसी एकसमान रूप से ठोस आवेशित गोले के कारण किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

CASE 1:- जब बिंदु गोले के अंदर स्थित हो 

माना की किसी ठोस गोले के अंदर एक बिंदु P  है जिसकी केंद्र o से दुरी r  है । o  को केंद्र मानते हुए r  त्रिज्या का एक गॉसियन पृष्ठ का निर्माण करते है ।

गॉसियन पृष्ठ के अंदर आवेश होगा

\fn_cm Q_{inside}= आयतन घनत्व × गॉसियन गोले का आयतन

\fn_cm Q_{inside}=\frac{Q}{\frac{4}{3}\pi R^3}\times \frac{4}{3}\pi r^3=\frac{Qr^3}{R^3}

गॉसियन सतह के P  बिंदु पर एक छोटे से क्षेत्रफल सदिश \fn_cm d\vec{A} के कारण विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी ।

\fn_cm d\Phi=\vec{E}.d\vec{A}=EdA\cos0^0=EdA

∴ गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा ।

\fn_cm \Phi=\int EdA=E\int dA

\fn_cm \Phi=E.4\pi r^2-----(1)

गॉस के अनुसार

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=\frac{Qr^3}{R^3\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm E.4\pi r^2=\frac{Qr^3}{R^3\epsilon_0}

\fn_cm \left [ E=\frac{1}{4\pi\epsilon_0}.\frac{Qr}{R^3} \right ]\;\;\;\;\;\Rightarrow \;\;\;\;\;\left [ E\propto r \right ]

CASE 2:- जब बिंदु गोले के बाहर स्थित हो

माना की किसी ठोस गोले के बाहर एक बिंदु P  है जिसकी केंद्र o से दुरी r  है । o  को केंद्र मानते हुए r  त्रिज्या का एक गॉसियन पृष्ठ का निर्माण करते है ।

गॉसियन सतह के P  बिंदु पर एक छोटे से क्षेत्रफल सदिश \fn_cm d\vec{A} के कारण विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी ।

\fn_cm d\Phi=\vec{E}.d\vec{A}=EdA\cos0^0=EdA

∴ गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा ।

\fn_cm \Phi=\int EdA=E\int dA

\fn_cm \Phi=E.4\pi r^2-----(1)

गॉस के अनुसार

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=\frac{Q}{\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm E.4\pi r^2=\frac{Q}{\epsilon_0}

\fn_cm \left [ E=\frac{1}{4\pi \epsilon_0}.\frac{Q}{r^2} \right ]\;\;\;\;\;\Rightarrow \;\;\;\;\;\left [ E\propto\frac{1}{r^2} \right ]

NOTE:- 

अनन्त आवेश विस्तार की समतल चादर के कारण विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

माना की एक पतली अनन्त क्षेत्रफल का कुचालक समतल चद्दर है , जिसका एकसमान पृष्ठ आवेश घनत्व σ है । चद्दर से r दुरी पर एक बिंदु P है जहां पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है । P सतह से गुजरती हुई एक गॉसियन पृष्ठ का निर्माण करते है जो की एक बंद खोखले बेलन की तरह है , जैसा की चित्र में दिखाया गया है ।

गॉसियन पृष्ठ को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है जो की दोनों सिरों के समतल पृष्ठ ( जिसका क्षेत्रफल A है ) तथा बेलन का वक्रीय पृष्ठ है । माना की P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता E है ।

बेलन के वक्रीय सतह के कारण विधुत फ्लक्स का मान शून्य होगा क्योंकि हर जगह क्षेत्रफल सदिश तथा विधुत बल रेखाएँ एक दूसरे के लम्बवत है ।

बेलन के दोनों समतल पृष्ठ के कारण समान विधुत फ्लक्स \fn_cm \int \vec{E}.\vec{A}=\int EA\cos0^0=EA होगा ।

∴ पुरे बेलन के कारण कुल विधुत फ्लक्स होगा

\fn_cm \Phi=EA+EA=2EA-----(1)

गॉस के प्रमेय के अनुसार

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=\frac{\sigma A}{\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm 2EA=\frac{\sigma A}{\epsilon _0}

\fn_cm \left [ E=\frac{\sigma}{2\epsilon _0} \right ]

यहाँ पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता दुरी पर निर्भर नहीं करती है ।

गॉस की प्रमेय के द्वारा कूलम्ब के नियम की निष्पत्ति:-

r दुरी पर स्थित दो बिंदु आवेशों q1 तथा q2 पर विचार करते है । q1 की स्थिति को केंद्र मानकर r त्रिज्या का एक वृत्त का निर्माण करते है जो गॉसियन सतह कहलाता है । माना की गॉसियन सतह के किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता E  है ।

गॉसियन सतह के किसी छोटे से क्षेत्रफल dA के कारण विधुत फ्लक्स का मान होगा

\fn_cm d\Phi=\vec{E}.d\vec{A}=EdA\cos 0^0=EdA

गॉसियन सतह के कारण कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा

\fn_cm \Phi=\oint EdA=E\oint dA=E.4\pi r^2-----(1)

गॉस के अनुसार कुल विधुत फ्लक्स का मान होगा

\fn_cm \Phi=\frac{Q_{inside}}{\epsilon_0}=\frac{q_2}{\epsilon_0}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm E.4\pi r^2=\frac{q_2}{\epsilon_0}

\fn_cm \left [ E=\frac{1}{4\pi \epsilon_0}.\frac{q_2}{r^2} \right ]

विधुत क्षेत्र का यह मान गॉसियन पृष्ठ के सभी बिंदु पर समान है अतः वह बिंदु जहाँ आवेश q2 है वहां भी बिधुत क्षेत्र की तीव्रता \fn_cm E है ।

अतः q2 पर लगने वाला बल होगा \fn_cm F=q_2E=q_2.\frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q_1}{r^2}

\fn_cm \left [ F=\frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q_1q_2}{r^2} \right ]

यह व्यंजक कूलम्ब के नियम का गणितीय रूप है ।

 

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