प्रकाश का अपवर्तन

किसी समांगी माध्यम में प्रकाश की किरणे सीधी रेखा में चलती है , परन्तु जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपने पथ से मुड़ जाती है । इस प्रकार प्रकाश की मुड़ने की घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते है ।

जब प्रकाश विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अभिलम्ब की और झुक जाती है , लेकिन जब प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है तो वह लांब से दूर हट जाती है ।

प्रश्न :- अपवर्तन का मुख्य कारण क्या है ?

उत्तर :- अपवर्तन का मुख्य कारण विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल का भिन्न भिन्न होना है ।

अपवर्तनांक :-

अपवर्तनांक वास्तव में माध्यम का प्रकाशिक घनत्व (optical density) को दर्शाती है । जिस माध्यम का प्रकाशिक घनत्व अधिक होगा उस माध्यम का अपवर्तनांक का मान अधिक होगा तथा कम प्रकाशिक घनत्व वाले माध्यम का अपवर्तनांक कम होगा ।

अतः हम यह कह सकते है की अपवर्तनांक किसी माध्यम का वह गुण होता है , जिसके कारण जब प्रकाश उस माध्यम से होकर गुजरती है तो उसका पथ , चाल इत्यादि बदल जाती है ।

किसी माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक (अपवर्तनांक)  निर्वात में प्रकाश का वेग (c) तथा उस माध्यम में प्रकाश के वेग (v)  के अनुपात को कहते है । इसे μ (meun) द्वारा सूचित किया जाता है ।

अर्थात   

NOTE:-

1. प्रकाशिक घनत्व तथा द्रव्यमान घनत्व के बीच भ्रम उत्पन्न नहीं होना चाहिए । द्रव्यमान घनत्व एकांक आयतन का द्रव्यमान है , जबकि प्रकाशिक घनत्व दो माध्यमों में प्रकाश की चाल का अनुपात है । ऐसा संभव है की किसी माध्यम का द्रव्यमान घनत्व किसी माध्यम के सापेक्ष कम हो लेकिन उस माध्यम का प्रकाशिक घनत्व उस माध्यम के सापेक्ष अधिक हो । उदहारण के लिए तारपीन तथा जल । तारपीन के तेल का द्रव्यमान घनत्व जल के द्रव्यमान घनत्व के कम होता है लेकिन इसका प्रकाशिक घनत्व जल के प्रकाशिक घनत्व से अधिक होता है ।

2. जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम से प्रवेश करती है तो प्रकाश का आवृति तथा कला अपरिवर्तित रहती है परन्तु प्रकाश का पथ , वेग , तरंगदैर्घ्य इत्यादि प्रवर्तित हो जाती है ।

3 . किसी भी तरंग के लिए  \fn_cm \large \left [ v=\nu \lambda \right ] or \left [ v=f\lambda \right ] or \left [ v=n\lambda \right ]

जहाँ v- प्रकाश की चाल , ν/f/n- प्रकाश की आवृति , λ- प्रकाश का तरंगदैर्घ्य है ।

4 . \fn_cm \large \left [ \mu \propto \frac{1}{v} \right ]

5 . निर्वात / वायु का अपवर्तनांक = 1 , शीशा का अपवर्तनांक =3/2=1.5 , पानी का अपवर्तनांक =4/3= 1.33 , हीरा  का अपवर्तनांक = 2.4

6 . किसी माध्यम का अपवर्तनांक हमेशा किसी माध्यम के सापेक्ष ही होता है , जैसे \fn_cm \large \mu _{21} – माध्यम 2 का अपवर्तनांक माध्यम 1 के सापेक्ष

7 . यदि किसी माध्यम का अपवर्तनांक किसी के सापेक्ष नहीं दिया हुआ है , तो माध्यम का अपवर्तनांक निर्वात या वायु के सापेक्ष होता है जिसे निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते है । ex- \fn_cm \large \mu _{water}=1.33   यहाँ पानी का अपवर्तनांक वायु के सापेक्ष है ।

8 . \fn_cm \large \left [ \mu _{21}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}} \right ]

अपवर्तन के नियम

अपवर्तन के दो नियम है

  1. आपतित किरण , अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खिंचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही समतल में होते है ।
  2. आपतन कोण की ज्या (\fn_cm \sin i) तथा अपवर्तित कोण की ज्या (\fn_cm \sin r) का अनुपात हमेशा एक नियतांक होता है

\fn_cm \large \left [ \frac{\sin i}{\sin r}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}}=constant \right ]

इसे स्नेल का नियम भी कहते है ।

विभिन्न माध्यम से अपवर्तन

सभी माध्यम में स्नेल के नियम के अनुसार ,

\fn_cm \large \frac{ \sin i}{ \sin r_{1}}\times \frac{ \sin r_{1}}{ \sin r_{1}}\times \frac{ \sin r_{2}}{ \sin r}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}}\times \frac{\mu _{3}}{\mu _{2}}\times \frac{\mu _{1}}{\mu _{3}}

\fn_cm \large \frac{\sin i}{ \sin r}=1

अर्थात     \fn_cm \LARGE \left [ i=r \right ]

अतः आपतन कोण तथा निर्गत कोण आपस में बराबर होते है ।

वास्तविक तथा आभासी गहराई

जब सघन माध्यम में रखी वस्तु को विरल माध्यम से देखी जाती है तो उसकी आभासी गहराई वास्तविक गहराई से कम प्रतीत होती है । ऐसा प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है ।

चित्र के अनुसार
AO- वास्तविक गहराई
AI- आभासी गहराई जो की वास्तविक गहराई से कम है

\fn_cm \Delta AOB के अनुसार

\fn_cm \tan i=\frac{AB}{AO}

उपाक्षीय किरण के अनुसार    \fn_cm \tan i \approx \sin i

\fn_cm \therefore \sin i=\frac{AB}{AO}

उसी प्रकार  \fn_cm \Delta AIB में

\fn_cm \tan r=\frac{AB}{AI}

उपाक्षीय किरण के अनुसार    \fn_cm \tan r\approx \sin r

\fn_cm \therefore \sin r=\frac{AB}{AI}

स्नेल के नियम के अनुसार ,

\fn_cm \large \frac{\sin i }{\sin r}=\frac{\mu _{1}}{\mu _{2}}

\fn_cm \frac{AB}{AO}\times \frac{AI}{AB}=\frac{\mu _{1}}{\mu _{2}}

\fn_cm \frac{AI}{AO}=\frac{\mu _{1}}{\mu _{2}}

\fn_cm AI=\left ( \frac{\mu _{1}}{\mu _{2}} \right )AO

यदि विरल माध्यम वायु हो  (\fn_cm \mu_{1} =1) , तो हम लिख सकते है ।

\fn_cm \large \left [ AI=\frac{AO}{\mu } \right ]    i.e

वास्तविक तथा आभासी ऊंचाई

जब विरल माध्यम में रखी वस्तु को सघन माध्यम से देखी जाती है तो उसकी आभासी ऊंचाई वास्तविक ऊंचाई से अधिक प्रतीत होती है । ऐसा प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है ।

चित्र के अनुसार
AO- वास्तविक ऊंचाई
AI- आभासी ऊंचाई जो की वास्तविक ऊंचाई से अधिक है ।

\fn_cm \Delta AOB के अनुसार

\fn_cm \tan i=\frac{AB}{AO}

उपाक्षीय किरण के अनुसार ,    \fn_cm \tan i \approx \sin i

\fn_cm \therefore \sin i=\frac{AB}{AO}

उसी प्रकार \fn_cm \Delta AIB में

\fn_cm \tan r=\frac{AB}{AI}

उपाक्षीय किरण के अनुसार    \fn_cm \tan r\approx \sin r

\fn_cm \therefore \sin r=\frac{AB}{AI}

स्नेल के नियम के अनुसार

\fn_cm \large \frac{\sin i }{\sin r}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}}

\fn_cm \frac{AB}{AO}\times \frac{AI}{AB}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}}

\fn_cm \frac{AI}{AO}=\frac{\mu _{2}}{\mu _{1}}

\fn_cm AI=\left ( \frac{\mu _{2}}{\mu _{1}} \right )AO

यदि विरल माध्यम वायु हो  (\fn_cm \mu_{1} =1) , तो हम लिख सकते है ।

\fn_cm \large \left [ AI=\mu \cdot AO \right ]

i.e. आभासी ऊंचाई = μ. वास्तविक ऊंचाई 

पार्श्विक विस्थापन तथा अभिलम्ब/ आभासी विस्थापन

पार्श्विक विस्थापन

यदि प्रकाश की किरण किसी आयताकार कांच की पट्टी से गुजरती है तो आपतित किरण तथा निर्गत किरण के बीच की लम्बवत् दूरी को पार्श्विक विस्थापन कहते हैं। चित्र में d पार्श्विक विस्थापन है । माना की t स्लैब की चौड़ाई है ।

चित्र के अनुसार , ΔQRT तथा ΔQMR में

\fn_cm \sin (i-r)=\frac{d}{QR}   ——(1)    और \fn_cm \cos r=\frac{QM}{QR}=\frac{t}{QR}  ——-(2)

समीकरण (1) तथा (2) से

\fn_cm \left [ d=\frac{t.\sin (i-r)}{\cos r} \right ]

NOTE:
  1. पार्श्विक विस्थापन स्लैब की मोटाई , आपतन कोण तथा स्लैब के अपवर्तनांक के साथ बढ़ती है ।
  2. \fn_cm i=90^{0} में पार्श्विक विस्थापन महत्तम होता है ।

अभिलम्ब/ आभासी विस्थापन

चित्र में OI आभासी विस्थापन है , तथा t आयताकार स्लैब की चौड़ाई है तथा μ स्लैब का अपवर्तनांक है ।

माना की  \fn_cm \large AO=x

\fn_cm \large \therefore AI'=\mu x

\fn_cm \large \Rightarrow BI'=\mu x+t

\fn_cm \large \Rightarrow BI=\frac{\mu x+t}{\mu }=x+\frac{t}{\mu }

\fn_cm \large \therefore OI=(AB+AO)-BI

\fn_cm \large =(t+x)-(x+\frac{t}{\mu })

\fn_cm \large =t-\frac{t}{\mu }

\fn_cm \large \left [ OI=(1-\frac{1}{\mu })t \right ]

NOTE:- विस्थापन की दिशा आपतित किरण की दिशा की ओर होती है ।

प्रकाश के अपवर्तन से सम्बंधित कुछ घटनाएँ

(1) तारों का टिमटिमाना 

जब तारों द्वारा उत्सर्जित प्रकाश पृथ्वी की सतह तक पहुँचता है तो मार्ग में वायुमंडल की विभिन्न परतों द्वारा उसका आपतन होता है । प्रकाश के अपवर्तन के कारण तारे की आभासी स्थिति इसकी वास्तविक स्थिति से भिन्न होती है । चूँकि वायुमंडल के तापमान व घनत्व में नितन्तर परिवर्तन होता रहता है तथा यह गतिशील भी है , अतः तारे की आभासी स्थिति भी निरंतर परिवर्तित होती रहती है । तारे की स्थिति में निरंतर परिवर्तन के कारण ही यह टिमटिमाता हुआ प्रतीत होता है ।

(2) डूबी हुई वस्तु का मुड़ा हुआ प्रतीत होना 

(3) सूर्य को वास्तव में सूर्योदय होने के कुछ मिनट पहले तथा अस्त होने कुछ मिनट पश्चात् भी हम उसको देख सकते है ।

सायं काल में जब सूर्य क्षितिज से निचे चला जाता है तब वह अस्त हो जाता है । क्षितिज से निचे स्थित सूर्य की किरणे हमारी आँखों में पहुँचती है क्योंकि वातावरण की सघन परतों में प्रकाश का अपवर्तन होता है । यह किरणे हमें सूर्य की आभासी स्थिति से आती हुई जान पड़ती है जिसकी स्थिति क्षितिज से ऊपर होती है । इसी कारण हम सूर्य को , अस्त होने के बाद भी कुछ मिनटों ( 2 मिनट ) तक देख सकते है । सूर्योदय के समय भी यही घटना होती है । इसी घटना के कारण दिन लगभग 4 मिनट अधिक हो जाता है

 

पूर्ण आतंरिक परावर्तन

जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से वायरल माध्यम में प्रवेश करती है तो अपवर्तन कोण का मान आपतन कोण से अधिक होता है । ज्यों ज्यों आपतन कोण का मान बढ़ाते है अपवर्तन कोण का मान भी आपतन कोण के साथ बढ़ता जाता है । एक ऐसी स्थिति आती है जब अपवर्तन कोण का मान 90° हो जाता है । उस स्थिति के आपतन कोण को क्रांतिक कोण (critical angle \fn_cm \theta_c) कहते है ।

यदि आपतन कोण को क्रांतिक कोण से अधिक कर दिया जाये तो प्रकाश विरल माध्यम में न जाकर सघन माध्यम में ही लौट आती है । इस घटना को पूर्ण आतंरिक परावर्तन कहते है ।

जब सघन माध्यम में संचरित होता हुआ प्रकाश विरल माध्यम में इस प्रकार प्रवेश करता है कि उसके आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो, तो सारा प्रकाश सघन माध्यम में परावर्तित हो जाता है । यह घटना पूर्ण आतंरिक परावर्तन कहलाता है ।”

चित्र में , स्नेल के नियम के अनुसार

total internal reflection

total internal reflection

total internal reflection

यदि विरल माध्यम वायु हो तो , \fn_cm \mu_1\rightarrow 1\;\;,\mu_2\rightarrow \mu

अर्थात ,  \fn_cm \left [ \theta_c=\sin^{-1}\left ( \frac{1}{\mu} \right ) \right ]

पूर्ण आतंरिक परावर्तन के लिए आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए  i.e  total internal reflection

Substance medium Refractive index Critical angle
Water 1.33 48.75
Crown glass 1.52 41.14
Dense flint glass 1.62 37.31
Diamond 2.42 24.41

पूर्ण आतंरिक परावर्तन के लिए आवश्यक शर्तें 

  1. प्रकाश सघन माध्यम से विरल माध्यम की और गतिमान होना चाहिए ।
  2. आपतन कोण का मान दिए गए माध्यमों के क्रांतिक कोण से अधिक होना चाहिए ।

पूर्ण आतंरिक परावर्तन से सम्बंधित कुछ घटनाएं 

समकोणिक समद्विबाहु प्रिज्म की कार्य प्रणाली ( पूर्ण परावर्तक प्रिज्म )

यह एक समकोणिक समद्विबाहु प्रिज्म है जो प्रकाश की किरण को 90° या 180° पर मोड़ देती है ।

हम जानते है की क्राउन शीशे का अपवर्तनांक 1.5 होता है । जिसके कारण वायु के सापेक्ष इसका क्रांतिक कोण होगा ।

total internal reflection

total internal reflection

अतः यदि शीशे – वायु सतह के लिए आपतन कोण 41.14° से अधिक होगा तो प्रकाश का पूर्ण आतंरिक परावर्तन होगा । इस प्रिज्म से हम प्रतिबिम्ब के आकार को बिना परिवर्तन किये उल्टा कर सकते है ।

हिरे का चमकना 

हिरे का अपवर्तनांक 2.4 होता है जिसके कारण वायु के सापेक्ष इसका क्रांतिक कोण 24° होता है । हिरे के फलकों को इस प्रकार काटा जाता है कि जब भी प्रकाश इसके किसी भी फलक पर आपतित होता है तो आपतन कोण का मान 24° ( क्रांतिक कोण ) से अधिक हो । अतः जब प्रकाश हिरे पर गिरता है तो इसका बार – बार पूर्ण आतंरिक परावर्तन होता है । जब प्रकाश कुछ स्थानों से निश्चित दिशाओं में बाहर निकलता है तो हिरा चमकता हुआ दिखाई देता है ।

मृग मरीचिका / मृगतृष्णा 

रेगिस्तान या गर्म जगहों में यात्रियों तथा जानवरों को बालू के स्थान पर पानी का भ्रम होता है । इस भ्रम को ही मरीचिका कहते है । इसका कारण प्रकाश का पूर्ण आतंरिक परावर्तन है ।

गर्मी के दिनों में पृथ्वी के गर्म होने के कारण, पृथ्वी की सतह के पास हवा का अपवर्तनांक इसके ऊपर की तुलना में कम हो जाता है। दूर की वस्तुओं से आती हुई प्रकाश,  क्रांतिक कोण से अधिक कोण के साथ पृथ्वी की सतह तक पहुंचता है। जिससे पूर्ण आतंरिक परावर्तन होता है जिसके कारण हमें वस्तु के साथ साथ उसका प्रतिबिम्ब भी हमें दिखाई देता है , जैसा की चित्र में दिखाया गया है । इसी के कारण वस्तु के पास पानी का भ्रम पैदा होता है ।

प्रकाश तंतु 

इसका कार्य पूर्ण आतंरिक परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित है । प्रकाश तंतु शीशे या क़्वार्टज़ ( कोर )  का एक बहुत ही लम्बा तथा अच्छी गुणवत्ता वाला फाइबर है , जो एक कम अपवर्तनांक वाले पतले माधयम ( क्लैडिंग ) से घिरा हुआ होता है । जब एक उचित कोण पर फ़ाइबर के एक सिरे पर प्रकाश ( विधुत चुम्बकीय तरंगें )आपतित होता है, तो यह फाइबर के अंदर से बार बार पूर्ण आतंरिक परावर्तन से गुजरता है तथा बहुत ही तीव्रता कम हुए ( less then 5% for 1 km )दूसरे सिरे से निकल जाता है भले ही फाइबर किसी रूप में मुड़ा हुआ हो ।

आजकल प्रकाश तंतु का उपयोग टेलीफ़ोन , टेलीविजन और कंप्यूटर सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता है ।

अभ्यासार्थ प्रश्न ( pdf formate )


अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

(1) प्रकाश के अपवर्तन से आप क्या समझते है ?

(2) प्रकाश के अपवर्तन के दौरान निम्न में से कौन सी राशियाँ अपरिवर्तित रहती है ।

(3) अपवर्तन के लिए स्नेल के नियम की परिभाषा दीजिये ।

(4) किसी पदार्थ के अपवर्तनांक की परिभाषा दीजिये ।

(5) अपवर्तनांक की इकाई क्या होती है ।

(6) माध्यम II का माध्यम I के सापेक्ष अपवर्तनांक 3/2 है तो माध्यम I का माध्यम II के सापेक्ष अपवर्तनांक कितना होगा ।

(7) जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो इसकी आवृत्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है ।

(8) 1.5 अपवर्तनांक वाली काँच की पट्टिका में प्रकाश का वेग कितना होगा ।

(9) पूर्ण आतंरिक परावर्तन से आप क्या समझते है ।

(10) प्रकाश तंतु का सिद्धांत लिखिए ।

(11) किरण चित्र खींचकर प्रदर्शित कीजिये की एक समकोणिक समद्विबाहु प्रिज़्म द्वारा प्रकाश किरण को 90° तथा 180° कोणों पर किस प्रकार घुमाया जा सकता है ।

(12) क्रांतिक कोण किसे कहते है? यह अपवर्तनांक से किस प्रकार सम्बंधित है ?

(13) प्रकाश तंतु का मुख्य उपयोग क्या है ।

(14) पाशर्व विस्थापन से आप क्या समझते है । इसके लिए सूत्र को लिखें ।

(15) यदि समुद्र तट से सूर्य को डूबते हुए देखा जाये तो प्रेक्षक को सूर्यास्त होने के कुछ मिनट बाद भी सूर्य दिखाई देता रहता है । समझाइये ।

(16) पूर्ण आतंरिक परावर्तन की शर्तों को लिखें ।

(17) क्रांतिक कोण  किसे कहते है ? वायु के सापेक्ष कांच का क्रांतिक कोण ज्ञात कीजिये ।

(18) मृग मरीचिका किसे कहते है, समझाइये ।

(19) रात्रि में तारे टिमटिमाते क्यों प्रतीत होते है ?

(20) जब पराबैगनी प्रकाश वायु से कांच में प्रवेश करता है , तो उसकी आवृत्ति में क्या परिवर्तन होता है ।

(21) पूर्ण प्रवर्तक प्रिज्म किसे कहते है ? किरण आरेख द्वारा खींचकर स्पष्ट कीजिये ।

(22) ग्लिसरीन वायु के लिए क्रांतिक कोण 43° है । ग्लिसीरीन का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक ज्ञात करें । (sin 43°= 0.68)

(23) क्राउन कांच के एक समकोणिक प्रिज्म में क्रांतिक कोण 41° है । प्रिज्म के सामने A से B से चलने वाली प्रकाश किरणों का प्रिज्म के अंदर पथ दिखाइए ।

(24) हिरे का अधिक चमकने का कारण बतलाइये ।

(25) क्या कारण है की सघन माध्यम में स्थित वस्तु को वायरल माध्यम से देखने पर वह कम गहराई पर दिखाई देती है ।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

(1) अपवर्तन से क्या तात्पर्य है ? इसका कारण क्या है ? अपवर्तन के नियम लिखिए ।

(2) अपवर्तनांक से आप क्या समझते है ? निरपेक्ष तथा आपेक्षिक अपवर्तनांक किसे कहते है ।

(3) अपवर्तनांक और वस्तु की आभासी तथा वास्तविक गहराई में सम्बन्ध स्थापित कीजिये ।

(4) क्रांतिक कोण से आप क्या समझते है ? इसका अपवर्तनांक से सम्बन्ध स्थापित कीजिये ।

(5) पूर्ण आतंरिक परावर्तन से आप क्या समझते है? इसके लिए आवश्यक शर्तों को लिखे ।

(6) निम्न के कारण बतलाइये ।

  • हिरा बहुत चमकदार दिखाई देता है ।
  • पानी में डुबोने पर सीधी छड़ मुड़ी हुई प्रतीत होती है ।
  • मरीचिका

(7) प्रकाशिक तंतु क्या है ? इसकी सिद्धांत को लिखें तथा इसके दो उपयोग भी लिखे ।

आंकिक प्रश्न 

(1) यदि निर्वात में प्रकाश का वेग \fn_cm 3\times10^8\;m/s  है तो पानी में प्रकाश का वेग ज्ञात कीजिये ।\fn_cm (2.25\times10^8\;m/s)

(2) प्रकाश का कांच में वेग \fn_cm 2\times10^8\;m/s  तथा निर्वात में वेग \fn_cm 3\times10^8\;m/s है । कांच का निरपेक्ष अपवर्तनांक कितना होगा । (1.5)

(3) पानी का अपवर्तनांक 4/3 है । पानी के 500m लम्बे स्तम्भ को पार करने में प्रकाश को कितना समय लगेगा ।( 2.2 ns)

(4) \fn_cm 5\times10^4\;m/s आवृत्ति वाली प्रकाश तरंग 1.5 अपवर्तनांक वाले माध्यम में प्रवेश करती है । उस माधयम में प्रकाश का वेग कितना होगा ?( \fn_cm 2\times10^8\;m/s )

(5)  जब किसी कागज के ऊपर लगे स्याही के निशान पर 1.5 अपवर्तनांक वाली कांच की प्लेट राखी जाती है तो यह निशान 1 cm ऊँचा उठा हुआ प्रतीत होता है । कांच की प्लेट की मोटाई ज्ञात कीजिये ।( 3 cm  )

(6) कांच के एक आयताकार टुकड़े को एक कागज के ऊपर रखते है जिस पर एक निशान बना हुआ है । इस चिन्ह को ऊर्ध्वाधर ऊपर से देखते है । यदि कांच का अपवर्तनांक 1.6 तथा मोटाई 6 सेंटीमीटर हो तो यह निशान कितना ऊपर उठा हुआ प्रतीत होगा । (2.25 cm )

(7) किसी पात्र में 12.5 cm ऊंचाई तक पानी भर दिया जाता है । इसके पेंदे पर रखी सुई 9.4 cm गहराई पर प्रतीत होती है । पानी का अपवर्तनांक ज्ञात कीजिये । ( 1.329)

(8) पानी के लिए क्रांतिक कोण 48° है । इसका अपवर्तनांक ज्ञात कीजिये । (1.35)

(9) किसी माध्यम से निर्वात के लिए क्रांतिक कोण का मान 30° है । उस माधयम में प्रकाश का वेग कितना होगा । (\fn_cm 1.5\times10^8\;m/s )

(10) पैराफिन तेल से वायु में जाने वाली प्रकाश किरणों के लिए क्रांतिक कोण का मान ज्ञात कीजिये । वायु के सापेक्ष पैराफिन तेल का अपवर्तनांक 1.44 है । (44°)

(11) किसी माध्यम में प्रकाश का तरंगदैर्घ्य 4000 Å तथा अन्य माध्यम में 6000 Å है । यदि प्रकाश पहले माध्यम से दूसरे माध्यम में संचारित हो तो क्रांतिक कोण का मान ज्ञात कीजिये ।( 41°-48′)

(12) 12 cm मोटे कांच के गुटके को पुस्तक के पृष्ठ पर रखने पर पुस्तक के अक्षर कितने ऊपर उठे हुए दिखाई देंगे ? (4 cm )

(13) प्रकाश की एक किरण समतल कांच के पृष्ठ पर आपतित होती है । इसका कुछ भाग परावर्तित तथा शेष अपवर्तित हो जाता है । यदि परावर्तित तथा अपवर्तित किरणें परस्पर लम्बवत हो तथा कांच का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.5 हो, तो आपतन कोण का मान ज्ञात कीजिये । ( 56.4°)

(14) एक मछली को एक उड़ते हुए पंक्षी की ऊंचाई पानी की सतह से 30 सेमी ऊपर प्रतीत होती है । पक्षी को मछली पानी की सतह से 30 सेमी निचे दिखाई देती है । (a) पानी के ऊपर पक्षी की वास्तविक ऊंचाई  (b) पानी के निचे मछली की वास्तविक गहराई क्या है । (22.5 सेमी , 40 सेमी )

(15) कांच के गुटके में वायु का एक छोटा बुलबुला एक तल से 4 सेमी दूर पर तथा दूसरे तल से 8/3 सेमी दुरी पर दिखाई पड़ती है । कांच के गुटके की वास्तविक मोटाई क्या है ? ( 10 सेमी )

(16) 20 सेमी गहराई के एक बर्तन का निचला आधा भाग कांच तथा ऊपरी आधा भाग पानी से भरा है । बर्तन की आभासी गहराई कितनी होगी ।

(17) यदि किसी माध्यम का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक 1.414 हो तब उस माध्यम व वायु के बीच क्रांतिक कोण कितना होगा ? (45°)

(18) जल तथा तेल के अपवर्तनांक क्रमशः 1.3 तथा 1.5 है । यदि प्रकाश तेल से चलकर जल के पृष्ठ पर आपतित हो , तो उसके लिए क्रांतिक कोण की गणना कीजिये  । ( 60°)

(19) कांच तथा जल का निरपेक्ष अपवर्तनांक क्रमशः 3/2 एवं 4/3 है । कांच तथा जल में प्रकाश की चालों का अनुपात ज्ञात कीजिये ? (8:9)

(20) निर्वात में किसी प्रकाश की तरंग दैर्घ्य 6400 Å है । यदि जल का निरपेक्ष अपवर्तनांक 4/3 हो , तो जल में प्रकाश की चाल तथा तरंग दैर्घ्य ज्ञात कीजिये । (\fn_cm 2.22\times 10^8 \;m/s, 4800 Å)

(21) कोई टैंक 12.5 सेमी ऊंचाई तक जल से भरा है । किसी सूक्ष्मदर्शी द्वारा बीकर की तली पर पड़ी हुई किसी सुई की आभासी गहराई 9.4 सेमी मापी जाती है । जल का अपवर्तनांक क्या है ? (1.329)

(22) 1.5 अपवर्तनांक वाले एक तरल को  20 सेमी त्रिज्या वाले एक बेलनाकार बर्तन में 20 सेमी ऊंचाई तक डाला जाता है । बर्तन के पेंदी के मध्य में एक बल्ब को रखा गया है जिससे प्रकाश तरल से बहार निकल रही है । तरल के सतह का वह क्षेत्रफल ज्ञात करे जिससे प्रकाश बहार निकल रही है ।

error: