घर्षण बल ( Frictional Force )

घर्षण बल

जब कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु की सतह पर गति करती है या गति करने की कोशिश करती है तो उनके तलों के खुरदरेपन के कारण संपर्क तल पर एक ऐसा बल कार्य करता है जो उस वस्तु के आपेक्षिक गति का विरोध करता है । इस विरोधी बल को घर्षण बल कहते है ।

अर्थात यह वह बल होता है जो दो वस्तुओं के बीच होने वाली सापेक्ष गति का विरोध करता है ।  जिसकी दिशा संपर्क तल के समान्तर होती है।

NOTE:- घर्षण बल गति का नहीं आपेक्षिक गति का विरोध करती है ।

घर्षण बल के प्रकार

1. स्थैतिक घर्षण बल

जब किसी वस्तु को किसी सतह पर खिसकाने के लिए बल लगाया जाए और यदि वस्तु अपने स्थान से नहीं खिसके , तो ऐसे दोनों सतहों के मध्य लगने वाला घर्षण बल को स्थैतिक घर्षण बल कहते है । इसका परिमाण लगाए गए बल के बराबर तथा दिशा बल की दिशा के विपरीत होती है । इसे \dpi{120} \fn_cm f_s द्वारा सूचित किया जाता है ।

NOTE:-

a. जब तक कोई बाह्य बल आरोपित नहीं होता है , तब तक स्थैतिक घर्षण बल भी नहीं होता है ।

b. स्थैतिक घर्षण बल संपर्क पृष्ठों के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है ।

2. सीमान्त घर्षण बल

किसी सतह और उस पर स्थित एक ठोस वस्तु के संपर्क तल के बीच सीमान्त घर्षण , घर्षण बल के उस अधिकतम मान को कहते है जिससे थोड़ा सा भी अधिक वाह्य बल लगाने पर वस्तु सतह पर खिसकने लगती है ।

अर्थात स्थैतिक घर्षण बल के अधिकतम मान को ही सीमान्त घर्षण बल कहते है। इसे \dpi{120} \fn_cm f_{max} द्वारा सूचित किया जाता है।  \dpi{120} \fn_cm \left ( f_{s}\leqslant f_{max} \right )

जब आरोपित बल का मान \dpi{120} \fn_cm f_{max} से अधिक हो जाता है तो वस्तु सरकना आरम्भ कर देती है ।

प्रयोग से यह पाया गया की सीमांत घर्षण बल का मान दोनों संपर्क सतहों की प्रकृति ( खुरदरेपन ) और सतहों के मध्य लग रही अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल  पर  इस प्रकार निर्भर करती है ।

  \dpi{120} \fn_cm f_{max}=\mu_s N

जहाँ \dpi{120} \fn_cm \mu_s एक नियतांक है जिसे सीमांत घर्षण गुणांक कहते है तथा जिसका मान दोनों सतहों की प्रकृति पर निर्भर करती है ।

NOTE:- स्थैतिक घर्षण बल की भांति यह भी संपर्क पृष्ठों के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है

3. गतिज घर्षण बल

जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के तल पर गति कर रही होती है तो संपर्क तलों के बीच लगने वाले घर्षण बल को गतिज घर्षण बल कहते है । इसे \dpi{120} \fn_cm f_k द्वारा सूचित किया जाता है ।

गतिज घर्षण बल का मान हमेशा स्थैतिक सीमांत घर्षण बल से कम होता है , अर्थात \dpi{120} \fn_cm f_k<f_{max}

प्रयोग से यह पाया गया की गतिज घर्षण बल का मान दोनों संपर्क सतहों की प्रकृति ( खुरदरेपन ) और सतहों के मध्य लग रही अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल  पर  इस प्रकार निर्भर करती है ।

\dpi{120} \fn_cm f_{k}=\mu_k N

जहाँ \dpi{120} \fn_cm \mu_k एक नियतांक है जिसे गतिज घर्षण गुणांक कहते है तथा जिसका मान दोनों सतहों की प्रकृति पर निर्भर करती है ।

NOTE:- 

a. स्थैतिक घर्षण बल की भांति यह भी संपर्क पृष्ठों के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है

b. यह आपेक्ष गति के वेग पर भी निर्भर नहीं करता है ( v< 4 m/s)

c. \dpi{120} \fn_cm \mu_k<\mu_s

d. बाह्य बल तथा घर्षण बल के बीच ग्राफ


घर्षण कोण

सीमांत घर्षण की अवस्था में घर्षण बल तथा अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल का परिणामी , तथा अभिलम्ब प्रतिक्रिया बल के बीच का कोण घर्षण कोण (angle of friction)  कहलाता है ।

चित्र के अनुसार

\dpi{120} \fn_cm R\cos\theta=N——————(1)

और \dpi{120} \fn_cm R\sin\theta=f_{max}—————–(2)

समीकरण 1 और 2 से

\dpi{120} \fn_cm \Rightarrow \frac{f_{max}}{N}=\frac{R\cos\theta}{R\sin\theta}

\dpi{120} \fn_cm \Rightarrow \frac{\mu_s N}{N}=\tan\theta

\dpi{120} \fn_cm \left [ \mu_s=\tan\theta \right ]

अर्थात घर्षण कोण की स्पर्शज्या (tangent) घर्षण गुणांक के बराबर होती है ।

विराम कोण

एक आनत तल और क्षैतिज के बीच बने कोण का वह अधिकतम मान जिससे अधिक होते ही आनत तल पर रखी वस्तु फिसलना प्रारम्भ कर देती है , विराम कोण कहलाती है ।

चित्र के अनुसार ,

\dpi{120} \fn_cm N=mg\cos\theta ——————(1)

\dpi{120} \fn_cm f_{max}=mg\sin\theta ————(2)

समीकरण 1 और 2 से

\dpi{120} \fn_cm \Rightarrow \frac{f_{max}}{N}=\frac{mg\sin\theta}{mg\cos\theta}

\dpi{120} \fn_cm \Rightarrow \frac{\mu_s N}{N}=\tan\theta

\dpi{120} \fn_cm \left [ \mu_s=\tan\theta \right ]

अर्थात , घर्षण गुणांक का मान विराम कोण की स्पर्शज्या के बराबर होती है ।

NOTE:- घर्षण कोण और विराम कोण आपस में बराबर होते है ।

 

Exercise


() 200 kg की गाड़ी को बर्फ पर खींचने के लिए 25 kgf का बल लगाना पड़ता है । गाड़ी तथा बर्फ के बीच घर्षण गुणांक की गणना कीजिये । ( 0.125)

() 100 kg की एक गाड़ी के क्षैतिज तल पर खींचने के लिए 98N का बल लगाना पड़ता है । घर्षण गुणांक का मान ज्ञात कीजिये । ( 0.1)

() 5 kg द्रव्यमान का एक ठोस पिंड एक क्षैतिज धरातल विरामावस्था में है । इस पर 20N का एक क्षैतिज बल लगाने पर वह ठीक खिसकने की प्रकृति दिखने लगता है । स्थैतिक घर्षण गुणांक का मान ज्ञात कीजिये । ( 0.4)

() क्षैतिज तल पर 5 kg का एक पिंड रखा है । यदि घर्षण गुणांक 0.4 हो, तो पिंड को चलाने के लिए आवश्यक बल का परिकलन कीजिये ।( 19.6N)

() एक लकड़ी का टुकड़ा जिसका द्रव्यमान 2.0 kg है , 0.8 kgf का बल लगाने से ठीक सरकने लगता है । इसके उपरांत 0.4 kgf का बल ही उसे स्थिर गति से खींचने के लिए प्रयाप्त रहता है । स्थितिज तथा गतिज घर्षण गुणांक का मान ज्ञात कीजिये । ( 0.4, 0.2)

() लकड़ी का एक 10 kg का गुटका 3 किग्रा- भार का क्षैतिज बल लगाने पर ठीक खिसकने लगता है । इसके बाद उसे समान चाल से गतिमान बनाये रखने के लिए 2 किग्रा – भार बल ही प्रयाप्त रहता है । स्थैतिक तथा गतिक घर्षण गुणांकों की गणना करे । ( 0.3, 02)

() एक खुरदरे तल पर एक पिंड रखा है । इस तल का एक सिरा इतना उठाया जाता है की पिंड इस पर ठीक फिसलने लगता है । यदि तल क्षैतिज के साथ 30° का कोण बनाता हो , तो घर्षण गुणांक, घर्षण कोण तथा विराम कोण ज्ञात करें । ( 0.58, 30°, 30°)

() एक कार सीधी सड़क पर 20 m/s की चाल से गतिमान है । यदि सड़क तथा टायरों के बीच घर्षण गुणांक 0.4 हो , तो कितनी न्यूनतम दुरी चलकर कार रुक जाएगी । ( g= 10 m/s²) ( 50 m)

() पिंड B का अधिकतम भार कितना हो सकता है की पिंड A न फिसले । स्थैतिक घर्षण गुणांक \dpi{120} \fn_cm \mu है । \dpi{120} \fn_cm \left ( \mu\;mg\tan\theta \right )

() एक कार जो की 7 m/s की चाल से गतिमान है , ब्रेक लगाने पर 10 मीटर चरकर रुक जाती है । ज्ञात कीजिये की ब्रेक लगाने पर गति का विरोध करने वाला घर्षण बल कार के भार का कितना गुना है ? ( 1/4 गुना )

() एक गुटके को एक खुरदरे क्षैतिज सड़क पर 10 m/s के वेग से प्रक्षेपित किया जाता है । गुटके एवं सड़क के बीच घर्षण गुणांक 0.1 है । 5 सेकंड में गुटका कितनी दुरी तय करेगा ? ( 27.5 m)

() 5.5 किग्रा के दो गुटके एक हलकी डोरी के सिरे से बंधे है तथा एक क्षैतिज तल पर स्थित है । जब एक गुटके पर 20N का क्षैतिज बल लगाकर खिंचा जाता है , तो प्रत्येक में 0.5 m/s² का त्वरण उत्पन्न हो जाता है । डोरी में तनाव बल तथा वस्तु में घर्षण बल ज्ञात कीजिये । ( 10 N , 7.5 m/s²)

() एक खुरदरे क्षैतिज तल पर 3 kg द्रव्यमान के गुटके को 1.2 किग्रा – भार के क्षैतिज बल से खिंचा जाता है । तल तथा गुटके के बीच घर्षण गुणांक 0.2 हो , तो गुटके में उत्पन्न त्वरण ज्ञात करो । ( 1.96 m/s²)

() 60kg द्रव्यमान का एक व्यक्ति बिजली के खम्बे पर निचे फिसलता है। यदि घर्षण बल 480 N हो तो व्यक्ति का त्वरण ज्ञात कीजिये ।( g=9.8 m/s²)  (1.8 m/s²)

() चित्र में वस्तु का त्वरण तथा डोरी में त्वरण ज्ञात करें । ( g=9.8 m/s²) ( 0.957 m/s², 27.14 N)

() एक पिंड 6.4 मीटर लम्बे तल के ऊपरी सिरे से विराम से फिसलना प्रारम्भ करता है । यदि तल का क्षैतिज से झुकाव कोण 30° हो , तो तल के निचले सिरे तक पिंड कितने समय में पहुँच जायेगा ? ( g=9.8 m/s² तथा μk= 0.2)  ( 2 sec)

() एक खुरदरे तल पर जिसका क्षैतिज के साथ झुकाव कोण 30° है , एक पिंड सीमांत संतुलन में है । जब झुकाव बढ़कर  45° कर दिया जाता है , तो वस्तु का त्वरण ज्ञात करें । (g=9.8 m/s²)( 2.93 m/s²)

 

लोटनिक घर्षण बल

( यह सर्पी घर्षण से बिलकुल अलग है )

जब एक वस्तु किसी दूसरी वस्तु के तल पर लुढ़कती है और यदि कोई सरकन नहीं है , तो वस्तु के संपर्क तल का दूसरी वस्तु के सापेक्ष कोई गति नहीं होती है । इस आदर्श स्थिति में स्थैतिक तथा गतिज घर्षण शून्य होता है तथा वस्तु को एकसमान गति से निरंतर लोटनिक गति करते रहना चाहिए । हम जानते है की वास्तव में ऐसा नहीं होता है तथा गति में कुछ न कुछ अवरोध बल अवश्य लगता  है , जिसे लोटनिक घर्षण ( Rolling Friction) बल कहते है ।

सर्पी घर्षण की तुलना में लोटनिक घर्षण बल मान बहुत ही कम होता है । ( यहाँ तक की परिमाण की 2 अथवा 3 कोटि तक )  यही कारण है की भारी ड्रम को खींचकर ले जाना कठिन है , जबकि इसे लुढ़काकर ले जाना आसान है ।

कारण :- जब एक पहिया किसी सतह पर गति करता है तो वह संपर्क – स्थान पर सतह को कुछ दबा देता है क्योंकि सम्पर्क बहुत कम होता है जिससे दाब = बल / क्षेत्रफल बहुत अधिक हो जाता है  जिसके कारण पहिये के ठीक आगे सतह का भाग कुछ ऊँचा हो जाता है । सतह की यह ऊँचाई ही पहिये की गति में कुछ अवरोध उत्पन्न करती है । यही अवरोध लोटनिक घर्षण का कारण है ।

घर्षण से हानि और लाभ

हानियां

  1. इससे मशीन की दक्षता काम हो जाती है , जिसके कारण मशीन लम्बे समय तक नहीं चल पाती है ।
  2. इससे ऊष्मा भी बहुत उत्पन्न होती है ।
  3. इससे लागत बढ़ जाती है और घर्षण के कारण काम में अधिक समय लगता है ।
  4. घर्षण के कारण मशीनों की बहुत शक्ति व्यर्थ हो जाती है ।
  5. इसी के कारण ही मशीनों के पुर्जे घिसते है तथा उन्हें बदलने की आवश्यकता होती है ।

लाभ

  1. घर्षण के कारण ही गाड़ियों में ब्रेक लगाना संभव होता है ।
  2. घर्षण के कारण ही हम जमीन पर चल पते है, और पेड़ों पर चढ़ पाते है ।
  3. इसी के कारण वस्तुएं एक दूसरे को पकड़ती है ।
  4. घर्षण के कारण ही कीलें दीवार में धसीं रहती है ।
  5. इसी के कारण रेती द्वारा वस्तुओं को काटा जाता है ।

घर्षण कम करने की विधियां

  1. स्नेहक द्वारा :- स्नेहक एक ऐसा पदार्थ होता है जो संपर्क वाले दोनों तलों के बीच एक पतली परत बना लेता है । यह स्पर्श तलों में स्थित गढ्ढों को भी भर देता है । इससे घर्षण बहुत ही कम हो जाता है । हलकी मशीनों में पतला तेल प्रयुक्त किया जाता है तथा भारी और तेज चलने वाली मशीनों में गाढ़ा तेल या ग्रीस प्रयुक्त किया जाता है ।
  2. बॉल बियरिंग द्वारा :- चूँकि लोटनिक घर्षण , सर्पी घर्षण से कम होता है , अतः घूर्णन करने वाली मशीनों में बॉल बियरिंग लगा दिया जाता है जिससे घर्षण बहुत ही कम हो जाता है । साईकिल में फ्री व्हील , बस , ट्रक आदि की एक्सिल , मोटर तथा डाइनेमो की शाफ़्ट आदि में बॉल बियरिंग का प्रयोग किया जाता है ।
  3. पॉलिश द्वारा :- दो तलों के बीच घर्षण कम करने के लिए उन्हें पॉलिश किया जाता है ।

घर्षण को बढ़ाने की विधियां

  1. चिकनी मिट्टी पर रेत, लकड़ी का बुरादा आदि डाला जाता है ।
  2. जूते के तले खुरदरे बनाये जाते है ।
  3. ढालू सड़क पर वाहन चलाते समय हल्के ब्रेक लगाकर घर्षण को बढ़ाया जाता है ।

किसी कण की साम्यावस्था

जब किसी वस्तु पर कुल बल का मान शून्य हो तो वस्तु की इस स्थिति को साम्यावस्था कहते है । अर्थात जब किसी वस्तु पर बहुत सारे बल लग रहे हो लेकिन वो इस प्रकार हो की वो एक दूसरे को निरस्त कर दे तो वस्तु साम्यावस्था में होगी ।

NOTE:- किसी वस्तु की साम्यावस्था के लिए केवल स्थानान्तरीय साम्यावस्था ( शून्य नेट बाह्य बल ) ही आवश्यक नहीं है , घूर्णी साम्यावस्था ( शून्य नेट बाह्य बल आघूर्ण ) भी आवशयक है ।

साधारणतः साम्यावस्था तीन प्रकार के होते है ।

स्थायी साम्यावस्था( stable equilibrium)

जब किसी वस्तु को इसकी साम्यावस्था से थोड़ा विस्थापित किया जाए और वस्तु पर लगने वाला बल इसे पुनः वापस इसकी साम्यावस्था में ले आता है तो ऐसी साम्यावस्था को स्थायी संतुलन या स्थायी साम्यावस्था कहते है । इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा न्यूनतम होती है ।

अस्थायी साम्यावस्था(unstable equilibrium)

जब किसी वस्तु की इसकी साम्यावस्था से थोड़ा सा विस्थापित किया जाए तो वस्तु पुनः साम्यावस्था बिंदु पर न आकर इससे दूर जाने का प्रयास करे तो ऐसे साम्यावस्था को अस्थायी संतुलन या अस्थायी साम्यावस्था कहते है । इस स्थिति में वस्तु की ऊर्जा अधिकतम होती है ।

उदासीन साम्यावस्था (neutral equilibrium)

जब किसी वस्तु को इसकी साम्यावस्था से विस्थापित किया जाए और  वस्तु में नयी स्थिति पर किसी भी प्रकार का कोई बल न लगे अर्थात वस्तु नयी स्थिति पर भी संतुलन की अवस्था में रहे तो वस्तु की ऐसी अवस्था को उदासीन साम्यावस्था कहते है । इस स्थिति में वस्तु की स्थितिज ऊर्जा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात निया रहती है ।

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