विधुत आवेश तथा विधुत क्षेत्र

स्थिर विधुतिकी भौतिक विज्ञानं की वह शाखा है, जिसमे विरामावस्था में आवेशों का अध्ययन किया जाता है।

विधुत आवेश :-

आवेश किसी पदार्थ का वह गुण है , जिसके कारण इसमें विधुत प्रभाव उत्पन्न होते है। आवेश सिर्फ दो छोटे कण में पाए जाते है, इलेक्ट्रान और प्रोटोन
इलेक्ट्रान का द्रव्यमान – \fn_cm 9.1\times 10^{-31}kg
प्रोटोन का द्रव्यमान – \fn_cm 1.673\times 10^{-27}kg
न्यूट्रॉन का द्रव्यमान – \fn_cm 1.675\times 10^{-27}kg
इलेक्ट्रान का आवेश – \fn_cm -1.6\times 10^{-19}C
प्रोटोन का आवेश – \fn_cm +1.6\times 10^{-19}C
न्यूट्रॉन का आवेश – \fn_cm 0

सामान्य अवस्था में , किसी वस्तु के अंदर इलेक्ट्रॉन्स तथा प्रोटोन्स की संख्या समान होती है। अर्थात वस्तु का कुल आवेश =0
कोई वस्तु तभी आवेशित होती है जब इलेक्ट्रॉन्स और प्रोटोन्स की संख्या समान न हो। जिस वस्तु के पास इलेक्ट्रॉन्स की संख्या अधिक होगी वह ऋण आवेश कहलाती है , और जिस वस्तु के पास प्रोटोन की संख्या अधिक होगी वह धन आवेश कहलाती है।

सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रैंकलिन ने आवेश को धन एवं ऋण चिन्ह दिए

NOTE

    1. चालक और कुचालक : वे पदार्थ जिनमे सामान्य ताप में ही अधिक संख्या में मुक्त इलेक्ट्रान होते है उन्हें चालक कहते है । वे आसानी से गति कर सकते है उदाहरण के लिए लोहा , ताम्बा, एल्युमीनियम इत्यादि । कुचालक या परावैद्युत वे पदार्थ है जिसमे बाह्य इलेक्ट्रान बहुत मजबूती से बंधे होते है इसीलिए वे गति नहीं कर सकते है अर्थात सामन्य ताप में कुचालक में मुक्त इलेक्ट्रान नहीं पाए जाते है ।
    2. आवेशन के दौरान सिर्फ मुक्त इलेक्ट्रान का ही स्थानांतरण होता है।
    3. आवेशन के दौरान वस्तु का द्रव्यमान भी प्रभावित होते है।
    4.                                                                          
    5. आवेश चालक की बाहरी सतह पर रहता है : किसी भी चालक को दिया गया आवेश हमेशा उसकी बहरी सतह पर रहता है, क्योंकि समान आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते है एवं एक दूसरे से अधिकतम संभव दुरी पर रहने का प्रयास करते है। इसी कारण समान त्रिज्या के खोखले एवं ठोस गोले एकसमान आवेश धारण करते है एवं साबुन का बुलबुला आवेशित होने पर फैलता है ।
    6. +ve आवेश को भूसम्पर्कित करने पर इलेक्ट्रान पृथ्वी से चालक की ओर प्रवाहित होती है , यदि -ve आवेश को भूसम्पर्कित किया जाये तो इलेक्ट्रान चालक से पृथ्वी की ओर प्रवाहित होती है ।

आवेशन की विधियाँ :-

किसी वस्तु में मुख्यतः तीन विधि से आवेश प्राप्त किये जा सकते है।

a. घर्षण द्वारा आवेश या घर्षण विधुतिकी :-दो उचित पदार्थों को रगड़ने या घर्षण से उत्पन्न विधुत को घर्षण विधुतिकी कहते है। पदार्थों को जब आपस में रगड़ा जाता है तो इनमे से एक पदार्थ इलेक्ट्रॉन्स का त्याग करता है तथा अन्य पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन्स ग्रहण कर लिए जाते है।वह पदार्थ जो इलेक्ट्रॉन्स खोता है धन आवेशित कहलाती है तथा जो पदार्थ इलेक्ट्रॉन्स ग्रहण करता है ऋण आवेशित कहलाती है।

धन (+ve) आवेश ऋण (-ve) आवेश
काँच की छड़ सिल्क कपड़ा
फर या ऊन एबोनाइट , अम्बर
सूखे बाल कंघी

b. भौतिक स्पर्श द्वारा आवेश :- यदि किसी चालक को आवेशित चालक से स्पर्श कराया जाये तो अनावेशित चालक में आवेश उत्पन्न हो जाता है क्योंकि स्पर्श बिंदु पर कुछ इलेक्ट्रॉन्स स्थानांतरित हो जाते है।

c. प्रेरण द्वारा आवेश:- यदि किसी चालक वस्तु के निकट किसी धन आवेशित छड़ को इस प्रकार लाया जाता है की यह वस्तु को स्पर्श न करे , तो हम देखते है की अनावेशित चालक के विपरीत पृष्ठों पर विपरीत आवेश आ जाती है। आवेशन की यह विधि प्रेरण द्वारा आवेशन कहलाती है। यह इसलिए होता है की छड़ द्वारा विपरीत आवेश आकर्षित कर लिए जाते है।

Question:- जब कंघी को सूखे बालों में घुमाया जाता है तो यह कागज के छोटे टुकड़े को जो की अनावेशित होते है , आकर्षित क्यों करने लगती है ?

Ans:- घर्षण के कारण कंघी ऋण आवेशित हो जाती है तथा जब कंघी को कागज के टुकड़े के निकट लाया जाता है तो प्रेरण द्वारा कागज के टुकड़े का पृष्ठ आवेशित हो जाता है। कंघी के निकट कागज के टुकड़े में धन आवेश उत्पन्न होता है तथा विपरीत दिशा में ऋण आवेश उत्पन्न होता है , जिसके कारण कंघी , कागज के टुकड़े को आकर्षित करने लगती है।

NOTE:

1. प्रेरण प्रक्रिया द्वारा, एक आवेशित वस्तु पास में रखे एक अनावेशित वस्तु को आकर्षित करती है। तो हम ऐसा कह सकते हैं आकर्षण वस्तु के आवेशित होने का प्रमाण नहीं है। लेकिन आवेशित वस्तु पर प्रतिकर्षण दिखाई देता है।

आवेश के गुण :-

मुख्य रूप से आवेश के निम्नलिखित गुण है ।

a. विधुत आवेश का योगात्मक प्रकृति :- आवेश एक अदिश राशि है अतः किसी वस्तु पर कुल आवेश का मान वस्तु के विभिन्न भागों में उपस्थित आवेशों के बीजगणितीय योग के बराबर होता है ।

\fn_cm Q_{net}=Q_{1}+Q_{2}+Q_{3}+Q_{4}+........+Q_{n}

b. विधुत आवेश का क्वांटिकरण :- यह वह गुण है जो बतलाता है की किसी वस्तु पर आवेश की मात्रा का मान मूल आवेश ‘e’ का पूर्ण गुणज ही हो सकता है । अर्थात \fn_cm \left [ Q=\pm ne \right ]     जहाँ n= 1,2,3……

NOTE: हाल ही में खोजा गया है की मूल कण जैसे प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन क्वार्कों से मिलकर बने होते है जिन पर \dpi{120} \fn_cm \pm \left ( \frac{1}{3} \right )e एवं \dpi{120} \fn_cm \pm \left ( \frac{2}{3} \right )e आवेश होता है । चूँकि क्वार्क स्वतंत्र अवशता में विध्यमान नहीं है , इसीलिए e ही आवेश का क्वांटम है । 

c. विधुत आवेश का संरक्षण :- इस नियम के अनुसार किसी विलगित निकाय (closed system) में विधुत आवेशों का कुल योग हमेशा नियत (constant) रहता है ।

 

आंकिक प्रश्न ( आवेश )


  1. एक चालक पर 500 इलेक्ट्रोनो की कमी है। इस पर आवेश की मात्रा तथा प्रकृति ज्ञात कीजिये ।
  2. एक चालक पर \fn_cm 2.4\times10^{-18}\;C का -ve आवेश है। इस पर कितने इलेक्ट्रोनों की कमी अथवा अधिकता है ?
  3. एक धातु के टुकड़े से कितने इलेक्ट्रॉन्स निकाले जाएँ की इस पर \fn_cm 8\times10^{12}C का +ve आवेश आ जाये ?
  4. एक आवेशित चालाक में 4000 इलेक्ट्रॉन्स की अधिकता है । चालक में उपस्थित कुल आवेश तथा उसकी प्रकृति बतलाइये ।
  5. एक चालक पर 1 कूलम्ब का +ve आवेश है । इस पर समान्य अवस्था से कितने इलेक्ट्रॉन्स कम अथवा अधिक है ?
  6. \fn_cm _{8}^{16}O नाभिक पर आवेश की गणना करें ।
  7. किसी पालीथीन के टुकड़े को उन से रगड़ने पर पाया गया की इस पर \fn_cm 3\times10^{-7}C का -ve आवेश आ जाता है। (a) उन से पालीथीन के टुकड़े में कितने इलेक्ट्रॉन्स स्थानांतरित हुए।(b) उन से पालीथीन में कितना द्रव्यमान स्थानांतरित हुआ।
  8. किसी चालक से कितने इलेक्ट्रॉन्स हटाए जाने चाहिए ताकि इस पर 3.2μC आवेश आ जाये ?
  9. 250 ग्राम पानी में इलेक्ट्रोनो की संख्या ज्ञात करें ।
  10. क्या \fn_cm 4.5\times10^{-19}C आवेश संभव है ?
  11. यदि 1 सेकंड में \fn_cm 10^9 इलेक्ट्रॉन्स एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित हो रहा है । तो वस्तु को 1C आवेश प्राप्त करने में कितना समय लगेगा ?
  12. 3.11 ग्राम कॉपर पेनी में कुल -ve तथा +ve आवेश की गणना कीजिये । (copper की परमाणु संख्या =29 तथा परमाणु भार = 63.5 ग्राम )
  13. (a) क्या सामान प्रकृति के दो आवेश एक दूसरे को आकर्षित कर सकते है ? (b) क्या एक आवेशित वस्तु एक अनावेशित वस्तु को आकर्षित कर सकती है ।
  14. Objects A, B, and C are three identical insulated spherical conductors. Initially, A and B have a charge of +3 μC whereas C has a charge of -6μC. Objects A and C are touched and moved apart. Objects B and C are touched before they are moved apart.
    (a) If objects A and B are now held near each other, they will (a) attract (b) repel (c) have no effect
    (b) If A and C are held near each other they will (a) attract (b) repel (c) have no effect

 

विधुतदर्शी (Elctroscope):-

यह एक सरल उपकरण है इसकी सहायता से किसी वस्तु पर आवेश की उपस्थिति को ज्ञात किया जाता है जब एक आवेशित वस्तु को इसके संपर्क में लाते हैं तो कुछ आवेश स्वर्ण पत्तियों पर स्थानांतरण हो जाता है एवं प्रतिकर्षण के कारण यह पत्तियां फैल जाती है यदि एक आवेशित वस्तु को पहले से आवेशित विद्युत दर्शी के नजदीक लाते हैं और यदि वस्तु का आवेश और विद्युत दर्शी पर उपस्थित आवेश एक ही प्रकृति का है तो पत्तियां और फैल जाती है और यदि विपरीत प्रकृति का है तो पत्तियां सामान्यतः सिकुड़ जाती है ।

कूलम्ब का नियम :-

इस नियम के अनुसार , विरामावस्था में स्थित किन्ही दो बिन्दुवत आवेशों के मध्य आकर्षण या प्रतिकर्षण बल दो आवेशों के परिमाण के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके मध्य दुरी के वर्ग के व्यत्क्रमानुपाती होता है ।

कूलम्ब के अनुसार

\fn_cm F\propto Q_{1}Q_{2}-----(1)\;\;\;\; and

\fn_cm F\propto\frac{1}{r^{2}}-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm F\propto\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}}

\fn_cm F=k\;\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}}

\fn_cm \left [F= \frac{1}{4\pi\epsilon_{0}}\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}} \right ]

जहाँ \fn_cm \epsilon_{0}\rightarrow निर्वात की विधुतशीलता (\fn_cm \epsilon_{0}\rightarrow \fn_cm 8.854\times 10^{-12}\; C^{2}/N-m^{2})

यहाँ पर  \fn_cm k=\frac{1}{4\pi\epsilon_{0}}

   \fn_cm k=9\times 10^{9}\;Nm^{2}/C^{2} ( निर्वात के लिए )

अन्य माध्यम के लिए

\fn_cm \left [F= \frac{1}{4\pi\epsilon_{m}}\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}} \right ]

जहाँ \fn_cm \epsilon_{m}\rightarrow माध्यम की विधुतशीलता है ।

NOTE:- 

    1. कूलम्ब का नियम सिर्फ बिंदु आवेश के लिए ही मान्य है ।
    2. किसी बड़े आवेशों के लिए integration technique का उपयोग किया जाता है ।
    3. कूलम्ब का नियम  \fn_cm 10^{-15} m से कम दुरी के लिए मान्य नहीं है ।
    4. विधुत बल संरक्षी बल है ।
    5. किसी भी माध्यम की विधुतशीलता निर्वात की विधुतशीलता से अधिक होती है ।

सापेक्ष विधुतशीलता :-

निर्वात ( वायु ) के सापेक्ष किसी माध्यम की विधुतशीलता ही माध्यम की सापेक्ष विधुतशीलता कहलाती है ।

अर्थात \fn_cm \left [ \epsilon_{r}=\frac{\epsilon_{m}}{\epsilon_{0}} \right ]

वायु/ निर्वात  के लिए  \fn_cm \left [F_{0}= \frac{1}{4\pi\epsilon_{0}}\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}} \right ]-----(1)

माध्यम के लिए \fn_cm \left [F_{m}= \frac{1}{4\pi\epsilon_{m}}\frac{Q_{1}Q_{2}}{r^{2}} \right ]-----(2)

समीकरण (1) और (2) से

\fn_cm \left [ \frac{F_{0}}{F_{m}}=\frac{\epsilon_{m}}{\epsilon_0}=K \right ]

वायु/ निर्वात  के लिए  \fn_cm K=1

धातु के लिए \fn_cm K=\infty

अध्यारोपण का सिद्धांत :-

इसके अनुसार किसी दिए गए आवेश पर इसके चारों ओर स्थित बहुत से आवेशों के कारण लगने वाले कुल बल का मान उस आवेश पर अन्य आवेशों द्वारा लगने वाले अलग अलग बलों के सदिश योग के बराबर होता है ।

चित्र के अनुसार \fn_cm q_{1} पर लगने वाले कुल बल का मान होगा

\fn_cm \left [ \vec{F}=\vec{F}_{12}+\vec{F}_{13}+\vec{F}_{14} \right ]

कूलम्ब के नियम का सदिश रूप :-

माना की दो बिंदु आवेश  \fn_cm q_1 तथा  \fn_cm q_2 है जिसका स्थिति सदिश क्रमशः \fn_cm \vec{r}_1 तथा  \fn_cm \vec{r}_2 है .

अब ,  \fn_cm \vec{F}_{12} = \fn_cm q_1 पर \fn_cm q_2 के कारण लगने वाला बल है । 
उसी प्रकार  \fn_cm \vec{F}_{21}=\fn_cm q_2 पर \fn_cm q_1 के कारण लगने वाला बल है ।
\fn_cm \vec{r}_{21}=\vec{r}_2 -\vec{r}_1=  \fn_cm q_1 से \fn_cm q_2 की बीच की दुरी है तथा जिसकी दिशा \fn_cm q_1 से \fn_cm q_2 की ओर है ।
\fn_cm \vec{r}_{12}=\vec{r}_1 -\vec{r}_2=  \fn_cm q_2 से \fn_cm q_1 की बीच की दुरी है तथा जिसकी दिशा \fn_cm q_2 से \fn_cm q_1 की और है ।

\fn_cm \hat{r}_{21}=\frac{\vec{r}_{21}}{r}= इकाई सदिश \fn_cm q_1 से  \fn_cm q_2 की ओर
and \fn_cm \hat{r}_{12}=\frac{\vec{r}_{12}}{r}= इकाई सदिश \fn_cm q_2 से  \fn_cm q_1 की ओर

अर्थात दो बिंदु आवेश \fn_cm q_1 तथा \fn_cm q_2 जिसकी स्थिति सदिश क्रमशः \fn_cm \vec{r}_1 तथा \fn_cm \vec{r}_2 है ।

तब \fn_cm q_2 पर \fn_cm q_1 द्वारा लगने वाला कूलम्ब बल होगा ।

\fn_cm \vec{F}_{21}=\frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q_1 q_2}{r^2}\;\hat{r}_{21}

उसी प्रकार \fn_cm q_1 पर  \fn_cm q_2 द्वारा लगने वाला कूलम्ब बल होगा । 

\fn_cm \vec{F}_{12}=\frac{1}{4\pi\epsilon_0}\frac{q_1 q_2}{r^2}\;\hat{r}_{12}

 

आंकिक प्रश्न ( कूलम्ब बल )


  1. वायु में एक दूसरे से 30 cm की दुरी पर रखे दो छोटे आवेशित गोलों पर क्रमशः \fn_cm 2\times10^{-7}C तथा \fn_cm 3\times10^{-7}C आवेश है , इनके बीच कितना बल होगा । \fn_cm \left ( 6 \times 10^{-3}N \right )
  2. 0.4μC आवेश के किसी छोटे गोले पर किसी अन्य छोटे आवेशित गोले के कारण वायु में 0.2N का बल लगता है । यदि दूसरे गोले पर -0.8μC आवेश हो, तो (a) दोनों गोलों के बीच कितनी दुरी है ? (b) दूसरे गोले पर पहले गोले के कारण कितना बल लगता है । (12 cm , समान बल )
  3. दो प्रोटॉनों के बीच विधुत प्रतिकर्षण बल की गणना कीजिये , जबकि उनके बीच की दुरी \fn_cm 4\times10^{-15}m है . (14.4N)
  4. +2μC तथा +6μC के दो बिंदु आवेश परस्पर 12N के बल से प्रतिकर्षित करते है । यदि इन आवेशों में से प्रत्येक को -4μC का आवेश और दिया जाये तो अब बल कितना व कैसा होगा । (4N, आकर्षण )
  5. समान परिमाण के दो आवेश एक दूसरे पर 2N का बल आरोपित करते है । उनके बीच की दुरी 0.5 मीटर कम करने पर उनके बीच बल 18N हो जाता है । ज्ञात कीजिये (a) आवेशों के बीच की प्रारंभिक दुरी (b) प्रत्येक आवेश का परिमाण (0.75m या 0.375m, \fn_cm \pm 11.8\times10^{-6}C)
  6. वायु में स्थित दो इलेक्ट्रॉन्स के मध्य बल का मान एक इलेक्ट्रान के भार का 0.5 गुना है । दोनों इलेक्ट्रॉन्स के मध्य दुरी गणना कीजिये । (7.19 m)
  7. दो एक प्रकार के आवेशों को जब वायु में 2 cm की दुरी पर रखा जाता है तो उनके मध्य प्रतिकर्षण बल 44.1N होता है । आवेशों के मानों की गणना करें । (±1.4μC)
  8. दो विधुत रोधी छोटे गोले परस्पर रगड़े जाते है तथा फिर एक दूसरे से 1 cm की दुरी पर रख दिया जाते है । यदि उनके बीच आकर्षण बल 0.1 N हो, तो रगड़ने पर एक गोले से दूसरे गोले पर कितने इलेक्ट्रॉन्स स्थानांतरित हुए थे ? (\fn_cm 2.1\times10^{11})
  9. दो +ve आवेश परस्पर 0.1m की दुरी पर है, एक दूसरे को 18N के बल से प्रतिकर्षित करते है । यदि दोनों आवेशों का योग 9μC हो, तो उनके अलग अलग मान ज्ञात कीजिये । ( 4μC तथा 5μC)
  10. एक अल्फा कण , एक स्वर्ण के परमाणु के नाभिक से \fn_cm 12\times10^{-15}m की दुरी पर है । दोनों के बीच विधुत बल का मान ज्ञात करें ।(253N) ( स्वर्ण का परमाणु संख्या = 79)
  11. दो अल्फा कण परस्पर 0.2Å की दुरी पर स्थित है । उनके बीच विधुत प्रतिकर्षण बल गुरुत्वाकर्षण बल से कितना गुना अधिक है ? (\fn_cm 3.158\times10^{35}) (\fn_cm m_\alpha=6.6\times10^{-27} kg, G=6.7\times10^{-11}Nm^2/kg^2)
  12. दो बिंदु आवेश +9e तथा +e परस्पर 16cm दुरी पर स्थिर अवस्था में रखे गए है । एक तीसरे बिंदु आवेश को उन्हें मिलाने वाली रेखा पर कहाँ रखा जाये की वह संतुलन में हो । (+9e आवेश से 12 cm दूर)
  13. दो बिंदु आवेश 4e तथा e  परस्पर d दुरी पर स्थिर अवस्था में रखे गए है । एक तीसरे बिंदु आवेश को उन्हें मिलाने वाली रेखा पर कहाँ रखा जाये की वह संतुलन में हो ।
  14. एक समबाहु त्रिभुज की भुजा 2 cm है । इसके तीनों कोनों पर क्रमशः +10μC, +20μC तथा -20μC आवेश रखे है । +10μC आवेश पर लगने वाले बल की गणना कीजिये । (4500N)
  15. एक समबाहु त्रिभुज की भुजा 4 cm है । इसके तीनों कोनों पर क्रमशः +1μC, +2μC तथा -3μC आवेश रखे है । -3μC आवेश पर लगने वाले बल की गणना कीजिये । (44.64N)
  16. एक समबाहु त्रिभुज की भुजा की लम्बाई ‘d’ है । इसके तीनों कोनों पर क्रमशः q, q तथा -q आवेश रखे गए है । सभी आवेशों पर लगने वाले बलों  की गणना कीजिये । (F , F तथा √3 F)
  17. ‘a’ भुजा वाले एक वर्ग के चारों कोनों पर समान परिमाण q तथा समान प्रकृति के आवेश रखे गए है । किन्ही एक आवेश पर लगने वाले बल का मान ज्ञात कीजिये । \fn_cm \frac{kq^2}{a^2}\left ( \frac{1}{2}+\sqrt{2} \right )
  18. चार बिंदु आवेश \fn_cm q_A=2\mu C, q_B=-5\mu C, q_C=2\mu C तथा \fn_cm q_D=5\mu C, 10 cm भुजा के किसी वर्ग ABCD के शीर्षों पर अवस्थित है । वर्ग के केंद्र पर रखे \fn_cm 1\mu C आवेश पर लगने वाला बल कितना है । (0)
  19. लोहे के दो छोटे कण जिनमे प्रत्येक का द्रव्यमान 0.28 ग्राम है, परस्पर 10 cm की दुरी पर स्थित है । यदि एक कण के 0.01% इलेक्ट्रान दूसरे कण पर स्थानांतरित किये जाये तो उनके बीच विधुत बल कितना होगा ? ( लोहे का परमाणु भार 56 ग्राम / मोल तथा परमाणु क्रमांक 26 है , आवोगाड्रो संख्या N= \fn_cm 6\times10^{23})
  20. ठीक एक जैसी दो धात्विक गोलियों पर विभिन्न परिमाणों के सजातीय आवेश है । एक दूसरे से 0.5 m दूर होने पर वे एक दूसरे को 0.108N के बल से प्रतिकर्षित करती है । जब उन्हें आपस में स्पर्श कराकर पुनः उतनी ही दुरी पर रखा जाता है, तो वे एक दूसरे को 0.144N के बल से प्रतिकर्षित करती है । प्रत्येक गोले की प्रारंभिक आवेश ज्ञात कीजिये ।

आंकिक प्रश्न ( कूलम्ब बल का सदिश रूप )


  1. दो बिंदु आवेश \fn_cm q_1=5\mu C तथा \fn_cm q_2=3\mu C क्रमशः (1,3,2)m तथा (3,5,1)m पर स्थिर है । कूलम्ब के नियम के सदिश रूप का प्रयोग करते हुए \fn_cm \vec{F}_{12} तथा \fn_cm \vec{F}_{21} का मान ज्ञात कीजिये । (\fn_cm 1.5\times10^{-2}N)
  2. यदि आवेश q , बिंदु  (2,3,4) पर तथा आवेश Q , बिंदु (5,3,8) पर स्थित हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे ।
  3. उपरोक्त प्रश्न में यदि q नाभिक में तथा Q बिंदु (5,3,2) में हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे
  4. यदि आवेश q , बिंदु  (-1,2,-3) पर तथा आवेश Q , बिंदु (-3,-2,2) पर स्थित हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे ।
  5. यदि आवेश q , बिंदु  (5,8,3) पर तथा आवेश Q , बिंदु (2,-3,4) पर स्थित हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे ।
  6. यदि आवेश q , बिंदु  (2,-1,3) पर तथा आवेश Q , बिंदु (0,0,0) पर स्थित हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे ।
  7. यदि आवेश 20μC , बिंदु  (1,-1,2) पर तथा आवेश -10μC , बिंदु (-1,1,1) पर स्थित हो तो q पर Q के कारण लगने वाले कूलम्ब बल को सदिश के रूप में लिखे ।

आंकिक प्रश्न ( सापेक्ष विधुतशीलता )


  1. एक माध्यम जिसकी सापेक्ष विधुतशीलता 4 है 20μC के दो आवेश 40 cm की दुरी पर रखे गए है । दोनों आवेशों के मध्य लगने वाले कूलम्ब बल का मान ज्ञात करें ।
  2. निर्वात में रखे दो बिंदु आवेशों के बीच 5N का बल लग रहा है यदि उन दोनों आवेशों को एक ऐसा माध्यम में रखा जाता है जिसका सापेक्ष विधुतशीलता 5 है, तो माध्यम में आवेशों के बीच लगने वाले बल का मान ज्ञात करें ।
  3. 100μC के दो बिंदु आवेशों को एक ऐसा माध्यम में रखा जाता है जिसका सापेक्ष पारगम्यता 5 है । तो उनके बीच बल का मान ज्ञात कीजिये ।
  4. यदि दो बिंदु आवेशों को निर्वात में \fn_cm r_0 दुरी पर रखा जाता है । K सापेक्ष विधुतशीलता वाले माध्यम में इन दो बिंदुओं आवेशों को कितनी दूर रखा जाये ताकि उस पर बल समान लगे ।
  5. दोनों स्थिति में सापेक्ष विधुतशीलता का मान ज्ञात करें

 

स्थिर विधुत बल तथा गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना 

 

स्थिर विधुत बल ( Electrostatic Force )

  1. यह आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल हो सकता है ।
  2. यह दो वस्तुओं में उनके आवेश के कारण लगने वाला बल है ।
  3. यह व्युत्क्रम वर्ग नियम का पालन करता है ।
  4. यह एक केंद्रीय बल है अर्थात यह दोनों आवेशों के केंद्रों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है ।
  5. यह एक संरक्षी बल है अर्थात इसके द्वारा किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं करता है ।
  6. यह गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली है ।( लगभग \fn_cm 10^{36} गुना )
  7. यह बल आवेशों के बीच के माध्यम पर निर्भर करता है ।

गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)

  1. यह हमेशा आकर्षण बल होता है ।
  2. यह दो वस्तुओं में उनके द्रव्यमान के कारण लगने वाला बल है ।
  3. यह भी व्युत्क्रम वर्ग नियम का पालन करता है ।
  4. यह भी एक केंद्रीय बल है ।
  5. यह भी एक संरक्षी बल है ।
  6. यह प्रकृति के सबसे दुर्बल बालों में से एक है ।
  7. यह बल वस्तुओं  के बीच के माध्यम पर निर्भर नहीं करता है ।

विधुत क्षेत्र :-

किसी आवेशित वस्तु के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ तक इसके प्रभाव का अनुभव किया जा सके , विधुत क्षेत्र कहलाता है ।

NOTE:-

1. किसी आवेशित वस्तु का विधुत क्षेत्र अनंत तक फैला रहता है ।

2. आवेश विधुत क्षेत्र तथा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है

विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

किसी विधुत क्षेत्र के अंदर किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता , उस बिंदु पर रखे इकाई धन आवेश पर लगने वाले बल के रूप में परिभाषित किया जाता है ।

माना की \fn_cm Q के कारण \fn_cm q_{0} पर लगने वाला बल \fn_cm F है तो परिभाषा के अनुसार P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी  \fn_cm \left [ \vec{E}=\frac{\vec{F}}{q_{0}} \right ]

विधुत क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा बल की दिशा की ओर होती है । इसका विमीय सूत्र \fn_cm \left [ MLT^{-3}A^{-1} \right ] होता है तथा इसका S.I मात्रक N/C होता है ।

NOTE:- विधुत क्षेत्र \fn_cm \vec{E} में किसी आवेश \fn_cm q पर लगने वाला बल होगा  \fn_cm \left [ \vec{F}=q\vec{E} \right ]

किसी बिंदु आवेश के कारण किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :- 

माना की Q  एक बिंदु आवेश है। इससे r  दुरी पर एक बिंदु P है जहाँ परिक्षण आवेश  \fn_cm q_{0} रखा गया है ।

कूलम्ब के नियम के अनुसार \fn_cm Q द्वारा \fn_cm q_{0} पर लगने वाला बल का मान होगा ।

\fn_cm F= \frac{1}{4\pi\epsilon_{0}}\frac{Qq_{0}}{r^{2}}

परिभाषा के अनुसार बिंदु \fn_cm P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी । \fn_cm E=\frac{F}{q_{0}}

\fn_cm \left [ E= \frac{1}{4\pi\epsilon_{0}}\frac{Q}{r^{2}} \right ]\;\;\;\;or\;\;\;\;\;\left [ E=\frac{kQ}{r^2} \right ]

अध्यारोपण का सिद्धांत :- (same as previous)

 

 

आंकिक प्रश्न ( विधुत क्षेत्र की तीव्रता )


(1) हीलियम नाभिक के कारण उससे 1Å की दुरी पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (2.88\times10^{11}N/C)
(2) एक इलेक्ट्रान के कारण निर्वात में 1.0 मीटर की दुरी पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (1.44\times10^{-9}N/C)
(3) एक बिंदु आवेश से 1 मीटर की दुरी पर उत्पन्न विधुत क्षेत्र की तीव्रता 450 V/m है। आवेश का मान ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (5\times 10^{-8}C)
(4) \dpi{120} \fn_cm 5\times 10^{-4}C आवेश पर 2.25 न का बल कार्य करता है । उस बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (4.5\times 10^{3}N/C)
(5) उस विधुत क्षेत्र का मान क्या होगा जिसमे एक इलेक्ट्रान पर उसके भार के बराबर विधुत बल कार्य करता है । \dpi{120} \fn_cm (5.51\times 10^{-11}N/C)
(6) -2μC तथा +8μC के दो बिंदु आवेश परस्पर 2 मीटर की दुरी पर स्थित है । इनको मिलाने वाली रेखा के किस बिंदु पर विधुत क्षेत्र शून्य होगा । (2 मीटर )
(7) चित्र के अनुसार बिंदु A , B तथा C पर विधुत क्षेत्र का मान ज्ञात कीजिये ।

(8) दिए गए चित्र में बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये ।

(9) दिए गए चित्र में बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये ।

(10) एक स्थान पर \dpi{120} \fn_cm 10^4 N/C का विधुत क्षेत्र उत्तर दिशा में दिष्ट है । इस क्षेत्र में एक ऐसी वस्तु स्थित है जिस पर \dpi{120} \fn_cm 10^6 इलेक्ट्रान की अधिकता है । वस्तु पर लगने वाले बल का परिमाण एवं दिशा ज्ञात कीजिये । (\dpi{120} \fn_cm 1.6\times10^{-9}N/C दक्षिण दिशा में )
(11) एक समबाहु त्रिभुज ABC की प्रत्येक भुजा की लम्बाई 10 सेमी है । प्रत्येक कोणों पर आवेश 1μC है । BC भुजः के ठीक मध्य बिंदु D पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये ।
(12) 3μC के किसी बिंदु आवेश से 2 मीटर की दुरी पर -2μC का बिंदु आवेश वायु में स्थित है । इन दोनों आवेशों से 1 मीटर की दुरी पर स्थित बिंदु पर विधुत क्षेत्र का मान तथा दिशा ज्ञात करें । (4.5\times10^4 N/C, -2μC की ओर)
(13) 5nC तथा 20nC के दो बिंदु आवेश एक दूसरे से 25 cm की दुरी पर स्थित है । उन दोनों को जोड़ने वाली अक्ष पर वह बिंदु ज्ञात कीजिये जहाँ विधुत क्षेत्र की तीव्रता शून्य है । ( दोनों आवेशों के बीच , छोटे आवेश से 8.33 cm दूर )
(14) दो बिंदु आवेश 3μC तथा -3μC निर्वात में एक दूसरे से 0.2 m दुरी पर स्थित है ।

(a) दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिंदु पर विधुत क्षेत्र कितना है ? \dpi{120} \fn_cm \left ( 5.4\times 10^6 N/C \right ) -ve आवेश की ओर

(b) यदि \dpi{120} \fn_cm 1.5\times10^{-9}C परिणाम का कोई -ve आवेश इस बिंदु पर रखा जाये, तो यह कितने बल का अनुभव करेगा ? \dpi{120} \fn_cm (8.1\times 10^{-3}N) +ve की ओर

(15) 8μC तथा -12μC के दो बिंदु आवेश परस्पर 0.04 m की दुरी पर स्थित है । इन्हें मिलाने वाली रेखा के किस बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी ? ( +ve आवेश से 0.178 m दूर बाहर की ओर )

 

विधुत बल रेखाएँ :-

विधुत क्षेत्र को अच्छी तरह से समझने के लिए माइकल फैराडे ने विधुत बल रेखाओं का अवधारणा दिया । यदि किसी विधुत क्षेत्र में किसी इकाई धन आवेश को गति के लिए स्वतंत्र कर दिया जाए तो वह जिस पथ के अनुदिश गति करता है ( सीधी या वक्रीत ) , वह पथ विधुत बल रेखाएँ कहलाती है । यह पूर्ण रूप से काल्पनिक है ।

विधुत बल रेखाओं के गुण :-

1 . विधुत बल रेखाएँ धन आवेश से निकलती है तथा ऋण आवेश में प्रवेश करती है ।

2 . बिधुत बल रेखाएँ पूर्ण रूप से काल्पनिक होती है फिर भी बिधुत व्यवहार को समझने के लिए इनका बहुत अधिक महत्व है ।

3 . विधुत बल रेखा के किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा (tangent) उस बिंदु पर परिणामी विधुत क्षेत्र की दिशा बतलाती है ।

4 . दो विधुत बल रेखाएँ कभी भी एक दूसरे को नहीं काट सकती है ।

CAUSE:- यदि दो विधुत बल रेखाएँ एक दूसरे को काटती है तो प्रतिच्छेद बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएँ होंगी। इसका अर्थ है की उस बिंदु पर परिणामी विधुत क्षेत्र के दो दिशाएं होंगी , जो की संभव नहीं है । अतः दो विधुत बल रेखाएँ कभी भी एक दूसरे को नहीं काट सकती है ।

5 . जिस स्थान पर विधुत क्षेत्र प्रबल होता है वहाँ विधुत बल रेखाएं पास पास होती है तथा विधुत क्षेत्र दुर्बल होने पर विधुत बल रेखाएं दूर दूर हो जाती है ।

6 . किसी चालक के अंदर से विधुत बल रेखाएं नहीं गुजर सकती है । जबकि विधुत बल रेखाएं किसी भी कुचालक या परावैधुत पदार्थ से गुजर सकती है ।

7. विद्युत बल रेखाएं हमेशा चालक सतह के लंबवत निकलती है।

8. विद्युत बल रेखाएं कभी भी बंद लूप नहीं बनती है जबकि चुंबकीय बल रेखाएं बंद लूप बनती है

9. किसी आवेश से प्रारंभ होने वाली अथवा किसी आवेश पर समाप्त होने वाली बल रेखाओं की संख्या उस आवेश के परिमाण के समानुपाती होती है।

यहाँ पर \dpi{120} \fn_cm \frac{Q_A}{Q_B}=\frac{7}{3}

10. किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता उसे बिंदु के परितः एकांक क्षेत्रफल के अभिलंब गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या के बराबर होती है

11 . समरूप विधुत क्षेत्र :- जब विधुत क्षेत्र के हरेक बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ( परिमाण तथा दिशा ) सामन हो तो उसे समरूप विधुत क्षेत्र कहते है ।

 

आंकिक प्रश्न ( समरूप विधुत क्षेत्र )


(1) एक इलेक्ट्रान ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर दिष्ट \dpi{120} \fn_cm 2.0\times 10^4 N/C के समरूप विधुत क्षेत्र में 1.5 cm दुरी तक गिरता है । विधुत क्षेत्र का परिमाण अपरिवर्तित रखते हुए उसकी दिशा ऊर्ध्वाधर निचे की ओर करने पर अब एक प्रोटोन उतनी ही दुरी तक गिरता है । दोनों दशाओं में गिरने में लगा समय ज्ञात कीजिये । ( गुरुत्वाकर्षण को नगण्य मानिये ) \dpi{120} \fn_cm (2.9\times10^{-9}s,1.3\times10^{-7}s)
(2) 1 ग्राम द्रव्यमान का एक +ve आवेशित कण 40 cm लम्बी एक डोरी द्वारा \dpi{120} \fn_cm 4\times10^4 N/C के क्षैतिज विधुत क्षेत्र में दीवार के सहारे लटकाया गया है । संतुलन की स्थिति में कण दीवार से 24 cm दूर है । कण पर आवेश ज्ञात कीजिये ।\dpi{120} \fn_cm (1.84\times10^{-7}C)
(3) किसी समरूप विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E  है , इसमें m  द्रव्यमान तथा q आवेश के एक कण को विराम अवस्था से छोड़ा जाता है । विद्युत क्षेत्र में s  दूरी तय करने पर प्राप्त गतिज ऊर्जा की गणना कीजिए।(qEs)
(4) एक ग्राम द्रव्यमान के एक छोटे गोले पर +6μC का आवेश है इस गोल को नीचे की ओर कार्यरत 400 N/C के विद्युत क्षेत्र में डोरी की सहायता से लटकाया गया है । डोरी में तनाव की गणना कीजिए ।  यदि गोले पर आवेश -6μC हो तो तनाव कितना होगा? \dpi{120} \fn_cm (1.22 \times10^{-2}N,0.74\times10^{-2}N)
(5) 0.2 g द्रव्यमान के एक आवेशित गेंद को 10 cm लंबी डोरी की सहायता से \dpi{120} \fn_cm \sqrt{3}\times10^5 N/C के क्षैतिज विद्युत क्षेत्र में लटकाया गया है । यदि साम्यअवस्था में गेंद दीवार से 5 cm दूर रहता है तो कान पर आवेश ज्ञात कीजिए। \dpi{120} \fn_cm (19.6\times10^{-8}C)
(6) क्रमश 4m एवं m द्रव्यमान तथा +q एवं +3q आवेश के दो आवेशित कणों को एक समान विद्युत क्षेत्र में रखा गया है । इनको 2 सेकंड तक गति करने दिया जाता है । इनकी गतिज ऊर्जा का अनुपात निकालिए।(36:1)

 

विधुत द्विध्रुव  :-

जब दो समान परिमाण के विपरीत प्रकृति के बिंदु आवेशों को कुछ दुरी पर पृथक रखा जाता है तो यह बनावट विधुत द्विध्रुव कहलाता है । विधुत द्विध्रुव का कुल आवेश शून्य होता है ।

दोनों आवेशों के मध्य दुरी को द्विध्रुव लम्बाई कहते है यह एक सदिश राशि है और इसकी दिशा -ve से +ve आवेश की ओर होती है ।

विधुत द्विध्रुव आघूर्ण :-

विधुत द्विध्रुव के किसी आवेश के परिमाण तथा द्विध्रुव लम्बाई के गुणनफल को विधुत द्विध्रुव आघूर्ण कहते है । इसे P द्वारा सूचित किया जाता है।

अर्थात , \fn_cm \left [ \vec{P}=q.\vec{d} \right ]

जहाँ \fn_cm d द्विध्रुव की लम्बाई है । यह एक सदिश राशि है जिसकी दिशा -ve से +ve आवेश की ओर होती है । इसका S.I मात्रक N-m होता है । इसका एक अन्य मात्रक debye होता है \fn_cm \left ( 1D=3.333\times 10^{-31}C-m \right )

विधुत द्विध्रुव की अक्षीय रेखा पर स्थित किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

 

माना की AB एक विधुत द्विध्रुव है जो +q तथा -q आवेशों से बने है तथा दोनों की बीच की दुरी 2d है ।

द्विध्रुव की अक्षीय रेखा पर द्विध्रुव के केंद्र O से r दुरी पर स्थित किसी बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।

-q आवेश के कारण बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\fn_cm \vec{E}_{A}=\frac{kq}{(r+d)^{2}}(-\hat{\mathbf{i}}\;)

+q आवेश के कारण बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\fn_cm \vec{E}_{B}=\frac{kq}{(r-d)^{2}}(\;\hat{\mathbf{i}}\;)

अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार , P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी ।

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=\vec{E}_{A}+\vec{E}_{B}

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=\frac{kq}{(r-d)^{2}}(\;\hat{\mathbf{i}}\;)+\frac{kq}{(r+d)^{2}}(-\;\hat{\mathbf{i}}\;)

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=kq\left [ \frac{(r+d)^2-(r-d)^2}{(r^2-d^2)^2} \right ]\mathbf{\hat{i}}

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=kq\left [ \frac{r^2+d^2+2rd-r^2-d^2+2rd}{(r^2-d^2)^2} \right ]\mathbf{\hat{i}}

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=\frac{kq4rd\;\mathbf{\hat{i}}}{(r^2-d^2)^2}

\fn_cm \left [ \vec{E}=\frac{k2r\vec{P}}{(r^2-d^2)^2} \right ]\;\;\;\;(\because \vec{P}=q2d\;\mathbf{\hat{i}})   ( यहाँ पर \fn_cm \vec{E} की दिशा \fn_cm \vec{P} की ओर होगी ।)

छोटे द्विध्रुव के कारण ( अर्थात \fn_cm d<<<r ) \fn_cm \left [ (r^2-d^2)\approx r^2 \right ]

अर्थात \fn_cm \large \left [ \vec{E}=\frac{2k\vec{P}}{r^3} \right ]

 

विधुत द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा पर स्थित किसी बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

 

माना की AB एक विधुत द्विध्रुव है जो +q तथा -q आवेशों से बने है तथा दोनों की बीच की दुरी 2d है ।

द्विध्रुव की निरक्षीय रेखा पर द्विध्रुव के केंद्र O से r दुरी पर स्थित किसी बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।

-q आवेश के कारण बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}_A=\frac{kq}{(r^2+d^2)}\;\;\;\vec{PA}\;  की ओर

उसी प्रकार , +q आवेश के कारण बिंदु P पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}_B=\frac{kq}{(r^2+d^2)}\;\;\;\vec{BP}\;  की ओर

इसीलिए , अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार , P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी ।

\fn_cm \Rightarrow \vec{E}=\vec{E}_{A}+\vec{E}_{B}

\vec{E}= -\vec{E}_A\cos\theta\;\mathbf{\hat{i}}-\vec{E}_A\sin\theta\;\mathbf{\hat{j}}-\vec{E}_B\cos\theta\;\mathbf{\hat{i}}+\vec{E}_B\sin\theta\;\mathbf{\hat{j}}

\because \left | \vec{E}_A \right |=\left | \vec{E}_B \right |

\therefore \;\;\;\Rightarrow \vec{E}=-2\vec{E}_A\cos\theta\;\mathbf{\hat{i}}

\vec{E}=-2\frac{kq}{(r^2+d^2)}\frac{d}{\sqrt{r^2+d^2}}\mathbf{\hat{i}}

\vec{E}=-2\frac{kqd}{(r^2+d^2)^{\frac{3}{2}}}\mathbf{\hat{i}}

\fn_cm \left [ \vec{E}=\frac{-k\vec{P}}{(r^2+d^2)^{\frac{3}{2}}} \right ]\;\;\;\;(\because \vec{P}=q2d\;\mathbf{\hat{i}}) ( यहाँ पर \fn_cm \vec{E} की दिशा \fn_cm \vec{P} की विपरीत होगी ।

छोटे द्विध्रुव के कारण ( अर्थात \fn_cm d<<<r ) \fn_cm \left [ (r^2+d^2)\approx r^2 \right ]

अर्थात \fn_cm \large \left [ \vec{E}=\frac{-k\vec{P}}{r^3} \right ]

NOTE:-        \dpi{120} \fn_cm \left | E_{axial} \right |=2\left | E_{equitorial} \right |

विधुत द्विध्रुव के कारण किसी अन्य बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता :-

माना की AB एक विधुत द्विध्रुव है जो +q तथा -q आवेशों से बने है तथा दोनों की बीच की दुरी 2d है ।

इस द्विध्रुव के कारण एक बिंदु P पर , जिसके केंद्र के सापेक्ष ध्रुवीय निर्देशांक (\fn_cm r,\theta) है, विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है ।

चित्र के अनुसार , विधुत द्विध्रुव AB जिसका द्विध्रुव आघूर्ण p है , OP की दिशा में घटक p\cos\theta तथा OP के लम्बवत दिशा में घटक p\sin\theta है । विधुत द्विध्रुव के कारण p बिंदु  पर विधुत क्षेत्र के तीव्रता , p बिंदु पर p\cos\theta तथा p\sin\theta के कारण विधुत क्षेत्रों की अलग- अलग तीव्रताओं के परिणामी के बराबर होगी ।

P बिंदु पर A_{1}B_{1}( घटक p\cos\theta) की अक्षीय स्थिति में है , अतः इसके कारण P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\Rightarrow E_{a}=\frac{2kp\cos\theta}{r^3}      इसकी दिशा  \underset{OP}{\rightarrow} की ओर होगी

इसी प्रकार , P बिंदु पर A_{2}B_{2} ( घटक p\sin\theta) की निरक्षीय स्थिति में है , अतः इसके कारण P बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

\Rightarrow E_{e}=\frac{kp\sin\theta}{r^3}    इसकी दिशा  \underset{OP}{\rightarrow} के लम्बवत होगी

अतः P बिंदु पर परिणामी विधुत क्षेत्र की तीव्रता होगी

E=\sqrt{(E_{a})^2+(E_{e})^2}

\Rightarrow E=\sqrt{\left ( \frac{2kp\cos\theta}{r^3} \right )^2+\left ( \frac{kp\sin\theta}{r^3} \right )^2}

\Rightarrow E=\frac{kp}{r^3}\sqrt{4\cos^2\theta+\sin^2\theta}

\large \Rightarrow \left [ E=\frac{kp}{r^3}\sqrt{1+3\cos^2\theta} \right ]

यदि परिणामी तीव्रता \vec{E} की दिशा \vec{E}_{a} के साथ \alpha कोण बनती है , तो चित्र के अनुसार

\tan\alpha =\frac{E_e}{E_{a}}=\frac{\frac{kp\sin\theta}{r^3}}{\frac{2kp\sin\theta}{r^3}}

\Rightarrow\;\;\tan\alpha=\frac{\tan\theta}{2}        \large \therefore \left [ \alpha= \tan^{-1}\left ( \frac{\tan\theta}{2} \right ) \right ]

 

किसी समरूप विधुत क्षेत्र में स्थित विधुत द्विध्रुव पर बल और बल आघूर्ण

माना की AB एक विधुत द्विध्रुव है जो दो आवेश -q तथा +q से मिलकर बने है । यह विधुत क्षेत्र \fn_cm \vec{E} के साथ \fn_cm \theta कोण बनाया हुआ है ।

विधुत क्षेत्र \fn_cm \vec{E} के कारण द्विध्रुव के आवेशों +q तथा -q पर लगने वाले बल क्रमशः +qE तथा -qE है ।

अतः -q आवेश पर लगने वाला बल आघूर्ण होगा \fn_cm \vec{\tau}_{A}=\vec{OA}\times\left ( -q\vec{E} \right )=q\left ( \vec{AO}\times \vec{E} \right )

उसी प्रकार +q आवेश पर लगने वाला बल आघूर्ण होगा \fn_cm \vec{\tau}_{B}=\vec{OB}\times\left ( q\vec{E} \right )=q\left ( \vec{OB}\times \vec{E} \right )

इसीलिए द्विध्रुव पर लगने वाला कुल बल आघूर्ण होगा । \fn_cm \vec{\tau}=\vec{\tau}_{A}+\vec{\tau}_{B}

\fn_cm \Rightarrow \vec{\tau}=q\left ( \vec{AO}\times \vec{E} \right )+q\left ( \vec{OB}\times \vec{E} \right )

\fn_cm \Rightarrow \vec{\tau}=q\left ( \vec{AO}+\vec{OB} \right )\times{\vec{E}}

\fn_cm \Rightarrow \vec{\tau}=q\vec{AB}\times{\vec{E}}

\fn_cm \large \left [ \vec{\tau}=\vec{P}\times\vec{E} \right ]\;\;\;or\;\;\;\left [ \tau=PE\sin\theta \right ]

Special Case:-

    1. यदि \fn_cm \theta=0^0,  तो \fn_cm \tau=PE\sin0^0=0
    2. यदि \fn_cm \theta=180^0,  तो \fn_cm \tau=PE\sin180^0=0
    3. यदि \fn_cm \theta=90^0,  तो \fn_cm \tau=PE\sin90^0=PE\;\;(which\; is\; maximum)

किसी समरूप विधुत क्षेत्र में स्थित किसी विधुत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा

विधुत क्षेत्र के अंदर किसी द्विध्रुव को एक स्थिति से दूसरे स्थिति तक घुमाने में किया गया कार्य ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है , जिसे द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा कहते है ।

हम जानते है की समरूप विधुत क्षेत्र के रखे विधुत द्विध्रुव पर लगने वाला बल आघूर्ण होगा ।  \fn_cm \tau=PE\sin\theta

\fn_cm \therefore विधुत द्विध्रुव को \fn_cm d\theta कोण घुमाने में किया गया कार्य होगा  \fn_cm dW=\tau.d\theta=PE\sin\theta

\fn_cm \therefore \;\theta_{1} से \fn_cm \theta_{2} तक घुमाने में किया गया कुल कार्य होगा

\fn_cm \Rightarrow W=\int dW=\int_{\theta_{1}}^{\theta_{2}}\sin\theta\; d\theta

\fn_cm \Rightarrow W=PE\left [ -\cos\theta \right ]^{\theta_{2}}_{\theta_{1}}

\fn_cm \Rightarrow W=PE\left ( -\cos\theta_{2}+\cos\theta_{1} \right )

\fn_cm \large \left [ W=-PE\left ( \cos\theta_{2}-\cos\theta_{1} \right ) \right ]

द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा समरूप विद्युत क्षेत्र में उस कार्य को कहते हैं जो द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र की लंबवत दिशा से किसी दी गई दिशा में घुमाने के लिए कार्य करना पड़ता है अर्थात \dpi{120} \fn_cm \theta_1=90^0  एवं \dpi{120} \fn_cm \theta_2=0^0  तब

\dpi{120} \fn_cm U=-PE(\cos \theta-\cos 90^0)=-PE\cos\theta

\dpi{120} \fn_cm \left [ U=-PE\cos\theta=-\vec{P}.\vec{E} \right ]

विशेष स्थितियां (Special Cases)

जब θ=0° (अर्थात द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र की दिशा के समांतर हो ),तो U=-PEcosθ =-PE ( न्यूनतम )

जब θ=90° (अर्थात द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र की दिशा से 90° पर हो ),  तो U=-PEcos 0°=0

जब θ=180° (अर्थात द्विध्रुव विद्युत क्षेत्र के प्रति समांतर हो ),  तो U=-PEcos180° अर्थात U=PE ( महत्तम )

आंकिक प्रश्न ( विधुत द्विध्रुव )


(1) +2μC तथा -2μC के दो बिंदु आवेशों के बीच की दुरी 3 cm है । इस निकाय का द्विध्रुव आघूर्ण ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (6.0\times10^{-8}C-m)
(2) 5μC परिमाण वाले बराबर किंतु विपरीत चिन्हों के आवेशों के एक युग्म से बने विद्युत द्विध्रुव का द्विध्रुव आघूर्ण \dpi{120} \fn_cm 5\times10^{-7}C-m है इस द्विध्रुव की लंबाई ज्ञात करें। (0.1m)
(3) HCl अणु का विधुत द्विध्रुव आघूर्ण \dpi{120} \fn_cm 3.4\times10^{-30} C-m है। अणु में \dpi{120} \fn_cm H^{+} तथा \dpi{120} \fn_cm Cl^{-} के बीच की दुरी ज्ञात करें । \dpi{120} \fn_cm 2.125\times10^{-11}m
(4) \dpi{120} \fn_cm 2\times10^{-7}C परिमाण के परंतु विपरीत चिन्हों के दो आवेश एक निकाय का निर्माण करते हैं इन आवेशों की स्थितियां क्रमशः  बिंदु A(0,0,-10)cm तथा (0,0,+10) cm  है निकाय का कुल आवेश तथा विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण कितना है। \dpi{120} \fn_cm (0,4\times10^{-8}C-m)
(5) दो आवेशों \dpi{120} \fn_cm +0.2\mu\mu C तथा \dpi{120} \fn_cm -0.2\mu\mu C के मध्य दूरी \dpi{120} \fn_cm 10^{-16}cm  है इनके मध्य बिंदु से 10 cm की दूरी पर स्थित एक अक्षीय बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की गणना कीजिए।
(6) एक विधुत द्विध्रुव का आघूर्ण \dpi{120} \fn_cm 0.96\times10^{-29}C-m है । इसमें 100Å की दुरी पर (a) अक्षीय एवं (b) निरक्षीय स्थिति में स्थित एक बिंदु पर विधुत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (1.7\times 10^5 V/m , 8.6\times 10^4 V/m)
(7) \dpi{120} \fn_cm \pm 10\mu C के दो बिंदु आवेश एक दूसरे से 5.0 mm की दुरी पर स्थित है । इस विधुत द्विध्रुव के अक्ष पर तथा निरक्ष पर द्विध्रुव के मध्य बिंदु से 15 cm की दुरी पर विधुत क्षेत्र ज्ञात कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (2.6\times10^5 N/C, 1.3\times10^5 N/C)
(8) एक विद्युत द्विध्रुव की लंबाई 20 सेंटीमीटर है तथा आवेशों का मान \dpi{120} \fn_cm \pm 150\mu C है दोनों आवेशों से 30 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की गणना कीजिए। \dpi{120} \fn_cm (10^{-7}N/C)
(9) \dpi{120} \fn_cm 4\times10^{-9}C-m द्विध्रुव आघूर्ण वाला एक विधुत द्विध्रुव \dpi{120} \fn_cm 5\times10^4 N/C परिमाण की तीव्रता वाले समरूप विधुत क्षेत्र में क्षेत्र की दिशा से 30° पर संरेखित है । द्विध्रुव पर लगने वाले बलयुग्म के आघूर्ण का परिकलन कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (1.0\times10^{-4}N-m)
(10) किसी स्थान पर विधुत क्षेत्र Z- अक्ष के अनुदिश दिष्ट है इसका परिमाण 10³ N/C प्रति मीटर के दर से बढ़ रहा है । इसमें एक विधुत द्विध्रुव जिसका आघूर्ण -ve Z  दिशा में \dpi{120} \fn_cm 10^{-4} C-m है, रखा गया है । विधुत द्विध्रुव पर नैट बल तथा बल आघूर्ण का परिकलन कीजिये । \dpi{120} \fn_cm (0.1N,0)

(11) किसी विद्युत द्विध्रुव के 0.1μC के दो आवेशों के मध्य दूरी 1.0 cm  है ।  द्विध्रुव 10³ N/C के बाह्य क्षेत्र में रखा जाता है । द्विध्रुव पर क्षेत्र द्वारा लगाया गया अधिकतम बल आघूर्ण कितना होगा ? \dpi{120} \fn_cm (10^{-6}Nm)

(12) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) के अणु  का द्विध्रुव आघूर्ण \dpi{120} \fn_cm 3.4\times10^{-30}cm है । इस पर समरूप क्षेत्र सामर्थ्य \dpi{120} \fn_cm 2.5\times10^5 N/C द्वारा लगाए गए अधिकतम बल आघूर्ण की गणना कीजिए। \dpi{120} \fn_cm (8.5\times10^{-25}Nm)

(13) \dpi{120} \fn_cm 10^{-20}Cm द्विध्रुव आघूर्ण वाले एक नमूने को \dpi{120} \fn_cm 10^5V/m विद्युत क्षेत्र द्वारा ध्रुवित कराया जाता है । जब द्विध्रुव क्षेत्र की दिशा से \dpi{120} \fn_cm 90^0 के कोण पर हो तो किए गए कार्य को ज्ञात कीजिए। (0)

(14) किसी पदार्थ के अणु का स्थाई द्विध्रुव आघूर्ण \dpi{120} \fn_cm 10^{29}Cm है इसके एक मोल  को \dpi{120} \fn_cm 10^6 V/m का प्रबल विद्युत क्षेत्र लगाकर ध्रुवित किया जाता है क्षेत्र की दिशा को अचानक \dpi{120} \fn_cm 60^0 बदल देते हैं पदार्थ द्वारा मुक्त ऊष्मा की गणना कीजिए। (3.011J)

सतत एवं एक समान आवेश वितरण के कारण विद्युत क्षेत्र

इस प्रकार के वितरण में कई आवेश एक निश्चित अल्प दूरी पर व्यवस्थित होते हैं

रेखीय आवेश वितरण :- प्रकार के वितरण में आवेश एक रेखा पर वितरित होता है । उदाहरण के लिए एक तार पर आवेश ,एक वलय पर आवेश इत्यादि इस प्रकार के वितरण को रेखीय आवेश घनत्व (λ) द्वारा व्यक्त करते हैं अर्थात

पृष्ठीय आवेश वितरण :- इस प्रकार के वितरण में आवेश किसी सतह पर वितरित होता है । उदाहरण के लिए चालक गोले पर आवेश, चालक चादर पर आवेश इत्यादि इस प्रकार के वितरण को पृष्ठ आवेश घनत्व (ρ) द्वारा व्यक्त करते हैं अर्थात

आयतन आवेश वितरण :-  इस प्रकार के वितरण में आवेश किसी वस्तु के संपूर्ण आयतन में वितरित होता है। उदाहरण के लिए चालक गोले पर आवेश इस प्रकार के वितरण को आयतन आवेश घनत्व (σ) द्वारा व्यक्त करते हैं अर्थात

सतत आवेश वितरण के कारण विद्युत क्षेत्र ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम हम दिए गए आवेशित निकाय को अल्पांश आवेशों में विभाजित करते हैं प्रत्येक अल्पांश आवेश बिंदु आवेश की तरह व्यवहार करता है अब इस अल्पांश आवेश के कारण दिए गए बिंदु पर विद्युत क्षेत्र या विद्युत बल ज्ञात करते हैं । दिए गए बिंदु पर परिणामी विद्युत क्षेत्र या विद्युत बल इन अल्पाँशों के कारण उत्पन्न विद्युत क्षेत्रों या विद्युत बालों के योग के तुल्य होता है।

अर्थात      \dpi{120} \fn_cm \vec{E}=\int d\vec{E}\;\;\;or\;\; \vec{F}=\int d\vec{F}

 

आवेश का संतुलन

यदि किसी भी आवेश पर परिणामी बल शून्य है तो वह संतुलन में कहलाता है यदि निकाय का प्रत्येक आवेश संतुलन में है तो संपूर्ण निकाय संतुलन में होगा।

संतुलन के प्रकार

स्थाई संतुलन:  एक आवेशित कण को संतुलन की स्थिति से थोड़ा सा विस्थापित करने पर यदि वह अपनी पूर्व स्थिति में आ जाता है तो यह स्थाई संतुलन में कहलाता है स्थाई संतुलन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा (U) न्यूनतम होता है

अस्थाई संतुलन:  यदि संतुलन की स्थिति से विस्थापित करने पर आवेश अपनी पूर्व स्थिति पर कभी वापस नहीं आता है तो वह अस्थाई संतुलन में कहलाता है अस्थाई संतुलन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा (U) महत्तम होती है

उदासीन संतुलन: यदि संतुलन की स्थिति से विस्थापित करने पर आवेश ना तो अपनी पूर्व स्थिति पर आता है और ना ही आगे की ओर गति करता है यह उसी स्थिति में ही बना रहता है जिसमें उसे रखा गया है तो यह उदासीन संतुलन में कहलाता है उदासीन संतुलन की स्थिति में स्थितिज ऊर्जा नियत रहती है